सार

कहते हैं बच्चा जैसा भी हो माता-पिता के लिए जान से भी ज्यादा प्यारा होता है। लेकिन कुछ माता-पिता के अंदर ममता का सैलाब नहीं बहता है, इसलिए वो अपने बच्चे को पैदा करते ही छोड़ देते हैं। ऐसा ही कुछ जोनाथन लेनसेस्टर  के साथ हुआ, जिसका चेहरा देखते ही उनके माता-पिता छोड़कर चले गए।

रिलेशनशिप डेस्क. माता-पिता ने छोड़ा तो एक महिला ने 'यशोदा' बनकर जोनाथन लेनसेस्टर (Jonathan Lancaster) को पाला पोषा। उसे इस काबिल बनाया कि आज वो दूसरे लोगों को मोटिवेट करता है। मोटिवेशनल स्पीकर जोनाथन लेनसेस्टर ने हाल ही में अपने पैदाइश से जुड़ी बातें बनाई जिसे जानकर आपके आंखों में आंसू आ जाएंगे।  जोनाथन लेनसेस्टर जब पैदा हुए तो उनका चेहरा 'एलियन' की तरह था। वो अजीब नजर आते थे। जोनाथ के पैदा होने के 36 घंटे बाद माता-पिता यह कहकर छोड़ दिया कि वो दिखने में असामान्य हैं। वो उसे नहीं पाल पाएंगे। लेकिन कहते हैं ना जिसका कोई नहीं होता उसका ऊपर वाला होता है। जोनाथन को भी पालने के लिए एक महिला यशोदा बनकर आईं। जीन नाम की महिला ने जोनाथ को गोद लिया और उसे पाला पोषा। इन सबके बावजूद जोनाथन अपनी बायोलॉजिकल माता-पिता का इस दुनिया में लाने के लिए शुक्रिया अदा करते हैं।

दुर्लभ बीमारी के शिकार थे जोनाथन

दरअसल, जोनाथन का जन्म ट्रेचर कॉलिन्स सिंड्रोम नाम की एक दुर्लभ बीमारी के साथ हुआ था। इस वजह से उनका चेहरा अलग था। उनके माता-पिता ने जन्म के बाद उन्हें छोड़ते हुए अडॉप्शन पेपर पर साइन कर दिए थे। इसके साथ अस्पताल स्टाफ से कहा था कि वो नहीं चाहते कि उनकी फैमिली का कोई सदस्य बच्चे से मिले। वो पूरी तरह उससे दूरी बना ली। पांच साल पर जीन ने उन्हें गोद लिया था।

बायोलॉजिकल पेरेंट्स को मेरा हाल जानना भी नहीं था मंजूर

साल 2009 में जोनाथन अपने बायोलॉजिकल पेरेंट्स से बातचीत करने की कोशिश की। उन्होंने एक पत्र भेजा कि वो ठीक हैं। लेकिन उनके ब्लड रिलेशनशिप की तरफ से जो खत आया उसे पढ़कर उनका दिल टूट गया। उन्होंने खत में लिखा कि वो उनसे रिश्ता नहीं रखना चाहता है। वो इसके बाद कोई खत नहीं भेजे। अगर  भेजेंगे तो उसे इग्नोर कर देंगे।

गोद लेने वाली मां ने मुझे प्यार करना सिखाया

उन्होंने बताया कि गोद लेने वाली मां ने मुझे संभाला। मुझे जितना हो उतना सिखाया। जैसे-जैसे मैं बड़ा हुआ चीजों को बेहतर ढंग से समझने में सक्षम हो गया। मैंने स्वीकार कर लिया कि मैं अलग हूं। उनकी मां जीन को उनके शक्ल सूरत से कोई मतलब नहीं था। वो उन्हें बहुत प्यार करती हैं। जोनाथन कहते हैं कि जब मैं दो वीक का था तब वो मुझे घर लेकर आई थी। उन्होंने मुझे बताया कि जब वो मुझे पहली बार देखी तो उनके चेहरे पर स्माइल आ गई थी। उन्होंने मेरी रक्षा की और खूब प्यार लुटाया।

स्कूल में मजा आता था, लेकिन कॉलेज में लोगों ने मजाक उड़ाया

जोनाथन बताते हैं कि मैं स्कूल में लोकप्रिय था। मुझे लंदन के बच्चों के अस्पताल में जाने में भी मज़ा आता था, जहां मेरी सुनने की क्षमता में मदद करने के लिए मैंने अग्रणी सर्जरी करवाई थी। वो आगे कहते हैं कि जब वो हाईस्कूल गए तब उन बच्चों के संपर्क में आए जिसे वो पहले नहीं जानते थे। वो मुझे देखकर मजाक उड़ाते थे, कहते थे मेरा जन्मदिन हैलोवीन था। मैंने इसे बहुत बुरे तरीके से डिल किया। मैं दुनिया और खुद के बीच एक दीवार बना लिया था। मैं अपने बायोलॉजिकल माता-पिता पर गुस्सा करता था। ये सोचता था कि वो ऐसा कैसे कर सकते हैं। जब मैं 18 साल था तब स्पोर्ट साइंस पढ़ने के लिए कॉलेज गया। लेकिन अंधेरा मेरी भावनाओं पर कब्जा कर लिया था।

21 साल में उसने बदल दी मेरी जिंदगी

वो आगे बताते हैं कि लेकिन मेरा जीवन 21 साल की उम्र में बदल गया। जब मुझे नौकरी मिल गई और मुझे अपने कलिग से प्यार हो गया। वो बहुत कूल थी। मैं लेकिन मैं सोच भी नहीं सकता था कि ऐसी लड़की मुझमें दिलचस्पी लेगी। हम करीब हो गए। मैं अब 37 साल का हूं और वो अब भी मेरे संपर्क में हैं। वो मुझे कहती है कि मुझे तुम्हारा चेहरा पसंद है। जब उसने मुझे पसंद किया उसी वक्त से मैं भी खुद से प्यार करने लगा।

क्या होता है ट्रेचर कॉलिन्स सिंड्रोम? 

यह एक दुर्लभ बीमारी है। इस बीमारी में जन्म से बच्चे की आंख, पलकें, गाल की हड्डी और जबड़े की हड्डी विकृति रूप में होते हैं। ये चेहरे के विकास पर असर डालता है। इस बीमारी में पीड़ित बच्चों को सुनाई नहीं देने की समस्या आती है। इसका कोई इलाज नहीं हैं। 50 हजार बच्चों में से केवल एक ही बच्चा इस दुर्लभ बीमारी के साथ पैदा होता है।

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