सार

सच्चा प्रेम क्या होता है ये कोई राधा-कृष्ण से सीखें। मिलन के बाद जुदाई फिर  भी नहीं कोई शिकायत बस मन में एक दूसरे का प्रेम जगाए पूरी जिंदगी गुजार दीं।

रिलेशनशिप डेस्क. श्रीकृष्ण को प्रेम का देवता भी कहा जाता है। राधा के बिना कृष्णा अधूरे हैं। उम्र के 10 साल उनकी जिंदगी प्रेम के रंग में रंगी रही। मथुरा जाने से पहले कृष्ण के प्यार में डूब कर बांसुरी बजाते रहें और जुदा होने पर कभी बांसुरी को हाथ भी नहीं लगाया। कहा जाता है कि कृष्ण ने बांसुरी तब बजाई जब उम्र के आखिरी पड़ाव पर राधा उनसे मिलने आई थीं। बासुंरी को सुनते हुए उन्होंने अपना देह त्याग दिया था। जिसके बाद कृष्ण ने बांसुरी के दो टुकड़े करके फेंक दिए थे। राधा-कृष्ण के प्रेम की कई कहानियां हैं। किसी में वियोग है तो किसी में मिलन है। आइए कृष्ण जन्माष्टमी ( Krishna Janmashtami ) पर उनके प्रेम की कुछ कहानियां बताते हैं जो काफी प्रचलित है।

गर्ग संहिता में राधा-कृष्ण के प्रेम का जिक्र

कई लोग राधा को सिर्फ काल्पनिक मानते हैं। भागवत में दशम स्कंद में जब कृष्ण के रासलीला का वर्णन होता है तो वहां राधा के बारे में बताया गया है कि वो भी रास का आनंद ले रही थी। इसके अलावा इसमें कहीं भी राधा रानी का जिक्र नहीं हैं। लेकिन अलग-अलग ग्रंथों में  राधा और कृष्ण के प्रेम का जिक्र किया गया है। गर्ग संहिता में राधा-कृष्ण के प्रेम का असली वर्णन मिलता है। गर्ग संहिता को यदुवंशियों के कुलगुरु ( कंस और कृष्ण के भी कुलगुरु हुए) ऋषि गर्गा मुनि ने लिखी थी। इसमें राधा-कृष्ण की लीलाओं का जिक्र किया गया है।

कृष्ण की बांसुरी सिर्फ राधा के लिए बजी

राधा और कृष्ण बचपन से साथ रहें। प्रेम लीला से लेकर रासलीला में राधा और कृष्ण का जिक्र होता है। वृंदावन छोड़ने से पहले कृष्ण ने राधा से कहा था कि वो उनसे दूर भले ही जा रहे हैं, लेकिन उनके मन में वो हमेशा रहेंगी। मन से वो हमेशा राधा के साथ रहेंगे। इतना ही नहीं उन्होंने राधा से आंसू नहीं बहाने का वादा भी लिया था। कहा जाता है कि कृष्ण ने अपनी बासुंरी राधा को दे दी थी। इसके बाद वो राधा बांसुरी बजाती थी। कृष्ण की बांसुरी सिर्फ राधा के लिए ही बजी।

राधा की शादी का क्या है सच?

कहा जाता है कि कृष्ण के जाने के बाद  राधा की शादी एक यादव से हुई और उन्होंने दांपत्य जीवन की हर रस्म को निभाया। लेकिन उनके मन में सदा कृष्ण ही रहते थे। राधा के पति का वर्णन ब्रह्मावैवर्त पुराण में मिलता है। यह पुराण वेदव्यास द्वारा रचित 18 पुराणों में से एक है। कहा जाता है कि राधा की शादी अनय से हुई थी। अनय भी वृंदावन निवासी थे।

कहा जाता है कि ब्रह्मा जी ने एक कृष्ण की परीक्षा लेने के लिए उनके दोस्तों और गायों को अगवा करके ब्रह्मलोक ले गए इसमें अनय भी थे। जिसके बाद श्रीकृष्ण अनय समेत दोस्तों का रूप ले लिया और सभी के घरों में जाकर रहने लगे।इसके बाद अनय रूपी कृष्ण की शादी राधा से हुई थी।

वहीं एक दूसरी कथा की मानें तो राधा की शादी हुई ही नहीं थी। ब्रह्मावैवर्त पुराण के अनुसार राधा ने अपना घर छोड़ दिया था। उन्होंने मां कीर्ती के पास अपनी परछाई  (छाया राधा/माया राधा) छोड़ गई थीं। इस कथा के मुताबिक छाया राधा की शादी  रायान गोपा (यशोदा के भाई) से हुई थी और अनय से नहीं। इसीलिए कई बार ये भी कहा जाता है कि राधा रिश्ते में श्रीकृष्ण की मामी थीं। वो साकेत गांव में रहती थी और दांपत्य जीवन अच्छे से गुजारीं। लेकिन मन से वो कृष्ण की थीं।

उम्र के अंतिम पल में राधा कृष्ण से गई थी मिलने?
 
वहीं एक प्रचलित लोककथा में कहा गया है कि राधा अपने जीवन के अंतिम वक्त में कृष्ण से मिलने द्वारका चली गई थी। दोनों एक दूसरे से कुछ नहीं कहें। लेकिन राधा वहां रह नहीं पाई। उन्हें कृष्ण के समीप वो शांति नहीं मिल रही थी जो उनसे दूर रहकर मिलती थी। इसलिए वो बिना कुछ कहें महल छोड़कर चली गईं।कृष्ण ने राधा की अंतिम इच्छा पूरी करते हुए आखिरी वक्त में बांसुरी बजाई। जिसे सुनते-सुनते राधा ने देह त्याग दिया। इसके बाद कृष्ण इतने दुखी हुए कि उन्होंने बांसुरी को तोड़ कर कोसो दूर फेंक दिया। जहां पर राधा ने जीवनभर कृष्ण का इंतजार किया वहां राधारानी का मंदिर है।

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