सार

अक्सर माना जाता है कि ब्रेकअप का असर महिलाओं पर ज्यादा बुरा होता है, क्योंकि वे पुरुषों की तुलना में अधिक संवेदनशील होती हैं। लेकिन यह सच नहीं है। कई पुरुषों पर भी ब्रेकअप का इतना बुरा असर होता है कि वे डिप्रेशन में चले जाते हैं। 

लाइफस्टाइल डेस्क। आम धारणा है कि ब्रेकअप का असर महिलाओं पर ज्यादा होता है, क्योंकि वे पुरुषों की तुलना में अधिक संवेदनशील होती हैं। लेकिन यह सच नहीं है। कई पुरुषों पर भी ब्रेकअप का इतना बुरा असर होता है कि वे डिप्रेशन में चले जाते हैं। फर्क बस इतना होता है कि पुरुष ब्रेकअप के बाद भीतर ही भीतर घुटते रहते हैं, जबकि महिलाएं अपनी भावनाओं को व्यक्त कर देती हैं। इससे उनके दिल का बोझ कम हो जाता है। पुरुष ब्रेकअप के दर्द को अकेले झेलते हैं। जानते हैं ब्रेकअप का पुरुषों पर क्या असर पड़ता है।

1. अपराध बोध
ब्रेकअप के बाद अक्सर पुरुष अपराध बोध की भावना से भर जाते हैं। उन्हें लगता है कि ब्रेकअप के लिए वही जिम्मेदार हैं। इसकी वजह है कि समाज में स्त्रियों की अपेक्षा पुरुषों के व्यवहार को बुरा माना जाता है। लोगों की धारणा होती है कि पुरुष के खराब व्यवहार की वजह से ही ब्रेकअप हुआ होगा। यह बात पुरुषों के मन में भी बैठ जाती है।

2. अकेलापन
ब्रेकअप के बाद पुरुष महिलाओं की तुलना में ज्यादा अकेलापन महसूस करते हैं, क्योंकि वे अपने दिल की बातों को किसी से बता नहीं पाते। वहीं, महिलाएं इसे लेकर ज्यादा परवाह नहीं करतीं, क्योंकि उनके सामने नए रिलेशनशिप के ऑफर ज्यादा होते हैं। महिलाओं को सांत्वना भी ज्यादा मिलती है, लेकिन पुरुषों के साथ ऐसी कोई बात नहीं होती।

3. तनाव
ब्रेकअप के साथ तनाव स्वाभाविक रूप से जुड़ा होता है। यह स्त्रियों और पुरुषों में समान रूप से होता है, पर पुरुष कई बार ब्रेकअप के बाद शराब या दूसरे नशे में डूब जाते हैं। इससे उनका तनाव और भी बढ़ जाता है। 

4. साथी की तलाश में बेचैनी
ब्रेकअप के बाद जाहिर है, कोई भी दर्द भूलने के लिए नए साथी की तलाश करने लगता है। इस मामले में महिलाएं जहां धैर्य रखती हैं, वहीं पुरुष जल्दबाजी करते हैं और साथी की तलाश में बैचैन हो जाते हैं। इससे उनकी मानसिक समस्या बढ़ जाती है। ब्रेकअप के बाद कई बार वे और भी गलत रिश्ते में पड़ जाते हैं, जिससे उनकी समस्याएं और भी बढ़ जाती हैं।

5. काम से ले लेते हैं छुट्टी
देखा गया है कि कई पुरुष ब्रेकअप के बाद इतने दुखी हो जाते हैं कि काम से छुट्टी तक ले लेते हैं। इसके बाद वे खाली बैठ कर पुरानी यादों में डूबे रहते हैं। इससे उनका दर्द और भी बढ़ता है। वहीं, महिलाएं मानसिक परेशानी के बावजूद अपना सामान्य कामकाज जारी रखती हैं।