सार

कई बार शौक या मौज-मस्ती के मूड में पार्टनर एक-दूसरे के कपड़े पहन लेते हैं, लेकिन हाल में हुए एक रिसर्च से पता चला है कि लड़कियां जब अपने पार्टनर के कपड़े पहनती हैं तो उनमें स्ट्रेस लेवल कम हो जाता है। ऐसा करने पर उन्हें चिंता और तनाव जैसी समस्याओं से राहत मिलती है।

लाइफस्टाइल डेस्क। कई बार शौक या मौज-मस्ती के मूड में पार्टनर एक-दूसरे के कपड़े पहन लेते हैं, लेकिन हाल में हुए एक रिसर्च से पता चला है कि लड़कियां जब अपने पार्टनर के कपड़े पहनती हैं तो उनमें स्ट्रेस लेवल कम हो जाता है। ऐसा करने पर उन्हें चिंता और तनाव जैसी समस्याओं से राहत मिलती है। यह रिसर्च यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलम्बिया में हुई है। यह यूनिवर्सिटी कनाडा के वैंकूवर में स्थित है। रिसर्चर्स का कहना है कि जो महिलाएं अकेलापन, तनाव और एंग्जाइटी की समस्या से परेशान रहती हैं, वे अगर कुछ समय के लिए अपने पार्टनर के कपड़े पहन लेती हैं तो उनका मूड ठीक हो जाता है। खास तौर पर बाॉयफ्रेंड की शर्ट, टी-शर्ट और दूसरी कोई भी ड्रेस पहनने से उनके मूड पर पॉजिटिव असर पड़ता है। मूड स्विंग की समस्या से पीड़ित महिलाओं को भी इससे फायदा महसूस हुआ। यह रिसर्च प्रोफेसर मार्लिस होफर के निर्देशन में हुई और जर्नल ऑफ पर्सनैलिटी एंड सोशल साइकोलॉजी में पब्लिश हुई है।

1. कैसे की रिसर्च
यह रिसर्च करने के लिए शोधकर्ताओं ने लड़कियों को तीन तरह के कपड़े सूंघने को दिए। एक किसी अजनबी इंसान का, दूसरा कोई नया कपड़ा और तीसरा उनके बॉयफ्रेंड की यूज की गई ड्रेस। लड़कियों को उनके बॉयफ्रेंड्स की वह ड्रेस सूंघने को दी गई जो पिछले 24 घंटों में उन्होंने पहन रखी थी, ताकि उसमें उनके शरीर की गंध मौजूद रहे। 

2. ड्रेसेस सूंघने के बाद लिया मॉक इंटरव्यू
जब पार्टिसिपेंट्स ने ड्रेसेस सूंघ ली तो रिसर्चर्स ने उनका मॉक इंटरव्यू लिया और कुछ मेंटल टास्क दिए। इसका मकसद पार्टिसिपेंट्स में स्ट्रेस लेवल को बढ़ाना था। इसके बाद रिसर्चर्स ने उनके स्ट्रेस लेवल को रिकॉर्ड किया। इससे यह पता चला कि जिन पार्टिसिपेंट्स ने अपने बॉयफ्रेंड और पार्टनर की ड्रेस सूंघी थी, उनमें उन पार्टिसिपेंट्स की तुलना में स्ट्रेस लेवल कम पाया गया, जिन्होंने किसी अजनबी की ड्रेस सूंघी थी। 

3. पार्टनर की गैरमौजूदगी में पहनती हैं उसके कपड़े
देखा गया है कि कुछ लड़कियां पार्टनर की गैरमौजूदगी में उसकी शर्ट या दूसरे कपड़े पहनती हैं और बेड पर वहीं सोती हैं, जहां पहले पार्टनर की बगल में सोया करती थीं। वे ऐसा क्यों करती हैं, इसका पता उन्हें नहीं होता, पर इस रिसर्च से पता चला कि वहां उन्हें अपने पार्टनर के शरीर की गंध का एहसास होता है, जो उन्हें टेंशन से दूर रखता है। जरूरी नहीं, ऐसा वे सचेत तौर पर करती हों। यह सब-कॉन्शियस लेवल पर होता है। यह बात प्रोफेसर मार्लिस होफर बतायी।

4. यूजफुल होगी रिसर्च
यह स्टडी करने वाले शोधकर्ताओं का कहना है कि यह रिसर्च उन महिलाओं के ट्रीटमेंट में काफी यूजफुल साबित हो सकती है जो अक्सर उदासी और डिप्रेशन की समस्या से जूझती हैं। खास कर कुछ महिलाओं में उदासी और चिंता तब बढ़ जाती है, जब किसी वजह से उन्हें अपने पार्टनर से दूर रहना पड़ता है। सीनियर रिसर्चर फ्रांसिस चेन का कहना था कि इसे लेकर अभी और भी स्टडी की जाएगी।