सार
बच्चों के व्यक्तित्व के सही विकास के लिए उन पर शुरू से ही ध्यान देना जरूरी होता है। स्कूली शिक्षा के साथ ही उन्हें नैतिक मूल्यों की शिक्षा भी देना जरूरी है। यह काम पेरेंट्स ही कर सकते हैं।
रिलेशनशिप डेस्क। बच्चों के व्यक्तित्व के सही विकास के लिए उन पर शुरू से ही ध्यान देना जरूरी होता है। स्कूली शिक्षा के साथ ही उन्हें नैतिक मूल्यों की शिक्षा भी देना जरूरी है। यह काम पेरेंट्स ही कर सकते हैं। बच्चे की सही परवरिश के लिए उन्हें उन बातों की जानकारी देनी जरूरी है, जो हमारे सामाजिक, पारिवारिक और सांस्कृतिक मूल्यों से जुड़ी हैं। अगर बचपन में ही उन्हें सही मूल्यों का ज्ञान करा दिया जाए तो बड़े होने पर वे एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में सामने आते हैं। जानते हैं बच्चों को किन बातों की जानकारी देनी जरूरी होती और उनके साथ कैसे पेश आना चाहिए।
1. संवेदनशीलता
बच्चों को संवेदनशील बनाने की कोशिश करनी चाहिए। अक्सर बच्चे बहुत ही भावुक प्रवृत्ति के होते हैं। दूसरों के सुख-दुख के प्रति वे संवेदना महसूस करते हैं। उनकी इस प्रवृत्ति को बढ़ावा देना चाहिए। कई पेरेंट्स ऐसे होते हैं जो बच्चों को कहते हैं कि तुम्हें दूसरों की बातों से क्या लेना-देना। इससे उनमें स्वार्थ की भावना विकसित हो सकती है। बच्चे संवेदनशील बन सकें, इसके लिए उन्हें पालतू जानवरों के साथ समय बिताने देना चाहिए और प्रकृति के करीब ले जाना चाहिए।
2. असफलता पर झिड़कें नहीं
हर पेरेंट की यह ख्वाहिश होती है कि उसका बच्चा पढ़ाई और दूसरे क्षेत्रों में सबसे आगे हो। बच्चे खुद भी इसके लिए कोशिश करते हैं। लेकिन सफलता और असफलता साथ-साथ चलने वाली चीज है। जरूरी नहीं कि हर बार आपका बच्चा सफल ही हो। अगर वह कभी असफल होता है तो उसे झिड़कें नहीं, बल्कि सहानुभूति के साथ पेश आएं और उसका हौसला बढ़ाएं।
3. सिलेबस से अलग किताबें भी पढ़ने को दें
बच्चे के व्यक्तित्व का सही तरीके से विकास हो सके, इसके लिए उसे सिलेबस से अलग किताबें भी पढ़ने के लिए प्रेरित करें। उसे रामायण, महाभारत, पंचतंत्र और दूसरी कहानियों की किताबें ला कर दें। इससे उनमें नैतिक बोध का विकास होता है और वे अपनी संस्कृति से भी परिचित होते हैं।
4. बच्चों से बातें करें
आपके बच्चों का आत्मविश्वास बढ़े, इसके लिए जरूरी है कि व्यस्तता के बावजूद आप समय निकाल कर उनसे बात करें। आप बच्चों से किसी भी विषय पर चर्चा कर सकते हैं। उनके साथ मित्रवत पेश आएं। इससे बच्चों का मनोबल बढ़ता है।
5. तनाव हावी नहीं होने दें
आजकल हर क्षेत्र में इतना ज्यादा कॉम्पिटीशन है कि बच्चे भी तनाव का शिकार हो जाते हैं। उन्हें भी असफलता का डर सताता है। कई बार स्कूल में या दोस्तों के साथ कुछ ऐसी बातें होती हैं, जो वे किसी से बताते नहीं और भीतर-भीतर घुटते रहते हैं। इसलिए आप अपने बच्चे के व्यवहार को भांपते रहें। अगर आपको लगे कि आपका बच्चा किसी तरह के तनाव में है तो उसका कारण जानने और उसे दूर करने की कोशिश करें।