सार

आचार्य चाणक्य ने नीतिशास्त्र की रचना की थी। इस ग्रंथ में सुखी और सफल जीवन के लिए नीतियां बताई गई हैं। अगर इन सूत्रों को अपना लिया जाए तो हम कई परेशानियों से बच सकते हैं।

उज्जैन. चाणक्य ने एक नीति में बताया है कि अगर किसी पर भरोसा करते समय कुछ बातों का ध्यान रखेंगे तो हम भविष्य में धोखा खाने से बच सकते हैं।

चाणक्य कहते हैं कि
यथा चतुर्भि: कनकं परीक्ष्यते निघर्षणं छेदनतापताडनै:।
तथा चतुर्भि: पुरुषं परीक्ष्यते त्यागेन शीलेन गुणेन कर्मणा।।

ये चाणक्य नीति के पांचवें अध्याय का दूसरा श्लोक है। इस नीति के अनुसार सोने को परखने के लिए सोने को रगड़ा जाता है, काट कर देखा जाता है, आग में तपाया जाता है, सोने को पीट कर देखा जाता है कि सोना खरा है या नहीं। अगर सोने में मिलावट होती है तो इन चार कामों से वह सामने आ जाती है। ठीक इसी प्रकार किसी व्यक्ति को परखने के लिए भी ये चार बातें ध्यान रखनी चाहिए...

त्याग भावना देखें
किसी व्यक्ति पर भरोसा करने से पहले ये देखना चाहिए कि वह दूसरों के सुख के लिए खुद के सुख का त्याग कर सकता है या नहीं। अगर कोई व्यक्ति दूसरों के सुख के लिए खुद के सुख का त्याग करता है तो उस पर भरोसा किया जा सकता है।

चरित्र देखें
जिन लोगों का चरित्र अच्छा है यानी जो लोग दूसरों के लिए गलत नहीं सोचते हैं, उन पर भरोसा कर सकते हैं।

गुण देखें
जिन लोगों में क्रोध, आलस्य, स्वार्थ, घमंड, झूठ बोलना जैसे अवगुण हैं, उन पर भरोसा करने से बचना चाहिए। जो लोग शांत स्वभाव, हमेशा सच बोलने वाले हैं, वे श्रेष्ठ इंसान होते हैं।

कर्म देखें
जो लोग अधार्मिक तरीके से काम करते हैं और धन कमाते हैं, उन पर भरोसा करने की गलती नहीं करनी चाहिए। ऐसे लोग खुद के स्वार्थ के लिए किसी को भी धोखा दे सकते हैं। धर्म और नीति से धन कमाने वाले लोगों पर विश्वास करना चाहिए।