सार
Gayatri Jayanti 2023: इस बार गायत्री जयंती का पर्व 30 मई, मंगलवार को मनाया जाएगा। मान्यताओं के अनसुार, इसी तिथि पर वेदमाता गायत्री प्रकट हुई थीं, इसलिए इस तिथि पर इनकी पूजा विशेष रूप से की जाती है।
उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि (Gayatri Jayanti 2023) को गायत्री जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 30 मई, मंगलवार को है। इस दिन देवी गायत्री की पूजा विशेष रूप से की जाती है। इस बार गायत्री जयंती पर कई शुभ योग बन रहे हैं, जिसके चलते इस पर्व का महत्व और भी बढ़ गया है। इस दिन देवी गायत्री की पूजा करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है। आगे जानिए गायत्री देवी की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त व अन्य खास बातें…
गायत्री जयंती पर बनेंगे ये शुभ योग (Gayatri Jayanti 2023 Shubh Yog)
ज्येष्ठ शुक्ल दशमी तिथि 29 मई, सोमवार की सुबह 11:49 से 30 मई की दोपहर 01:08 तक रहेगी। चूंकि दशमी तिथि का सूर्योदय 30 मई को होगा, इसलिए इसी दिन गायत्री जयंती का पर्व मनाया जाएगा। मंगलवार और हस्त नक्षत्र होने से सौम्य नाम का शुभ योग बनेगा, साथ ही सिद्धि नाम का एक अन्य शुभ योग भी इस दिन बन रहा है।
ये हैं पूजा के शुभ मुहूर्त (Gayatri Jayanti 2023 Shubh Muhurat)
- सुबह 08:51 से 10:35 तक
- सुबह 10:35 से दोपहर 12:19 तक
- दोपहर 12:19 से 02:02 तक
- दोपहर 03:46 से शाम 05:30 तक
इस विधि से करें देवी गायत्री की पूजा (Gayatri Jayanti Puja Vidhi)
- 30 मई, मंगलवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद हाथ में जल लेकर व्रत-पूजा का संकल्प लें। इसके बाद किसी साफ स्थान पर देवी गायत्री की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
- देवी गायत्री के चित्र सामने शुद्ध घी का दीपक जलाएं। फूल माला पहनाएं, कुमकुम से तिलक लगाएं। इसके बाद अबीर, गुलाल, रोली, फूल, फल आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाते रहें।
- पूजा के अंत में देवी को भोग लगाएं और गायत्री मंत्र का जाप करें। कम से कम 5 माला जाप अवश्य करें। अंत में आरती करें। इस प्रकार देवी गायत्री की पूजा करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है।
देवी गायत्री की आरती (Devi Gayatri Ki Aarti)
जयति जय गायत्री माता, जयति जय गायत्री माता ।
सत् मार्ग पर हमें चलाओ, जो है सुखदाता ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
आदि शक्ति तुम अलख निरंजन जगपालक कर्त्री ।
दु:ख शोक, भय, क्लेश कलश दारिद्र दैन्य हत्री ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
ब्रह्म रूपिणी, प्रणात पालिन जगत धातृ अम्बे ।
भव भयहारी, जन-हितकारी, सुखदा जगदम्बे ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
भय हारिणी, भवतारिणी, अनघेअज आनन्द राशि ।
अविकारी, अखहरी, अविचलित, अमले, अविनाशी ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
कामधेनु सतचित आनन्द जय गंगा गीता ।
सविता की शाश्वती, शक्ति तुम सावित्री सीता ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
ऋग, यजु साम, अथर्व प्रणयनी, प्रणव महामहिमे ।
कुण्डलिनी सहस्त्र सुषुमन शोभा गुण गरिमे ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
स्वाहा, स्वधा, शची ब्रह्माणी राधा रुद्राणी ।
जय सतरूपा, वाणी, विद्या, कमला कल्याणी ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
जननी हम हैं दीन-हीन, दु:ख-दरिद्र के घेरे ।
यदपि कुटिल, कपटी कपूत तउ बालक हैं तेरे ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
स्नेहसनी करुणामय माता चरण शरण दीजै ।
विलख रहे हम शिशु सुत तेरे दया दृष्टि कीजै ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
काम, क्रोध, मद, लोभ, दम्भ, दुर्भाव द्वेष हरिये ।
शुद्ध बुद्धि निष्पाप हृदय मन को पवित्र करिये ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
जयति जय गायत्री माता,
जयति जय गायत्री माता ।
सत् मार्ग पर हमें चलाओ,
जो है सुखदाता ॥
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