सार

Adipurush: 16 जून को रिलीज होने वाली मूवी आदिपुरुष को लेकर लोगों के मन में काफी उत्साह है। ये मूवी भगवान श्रीराम के जीवन पर आधारित है। ट्रेलर लांच होते ही ये मूवी काफी चर्चाओं में है, खासकर श्रीराम, सीता, हनुमान और रावण के लुक को लेकर।

 

उज्जैन. भगवान श्रीराम के जीवन पर आधारित अवेटेड मूवी आदिपुरुष (Adipurush Movie Release) 16 जून को बड़े परदे पर रिलीज होने वाली है। मूवी में सुपर स्टार प्रभास (super star prabhas) श्रीराम का किरदार में हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार राजा दशरथ ने पुत्र प्राप्त के लिए पुत्रकामेष्ठि यज्ञ करवाया था, उसी के फलस्वरूप श्रीराम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का जन्म हुआ। भगवान श्रीराम का स्वरूप कैसा था और वे कैसे दिखते थे, इसका वर्णन वाल्मीकि रामायण में स्पष्ट रूप से बताया गया है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. नलिन शर्मा (Astrologer Pt. Nalin Sharma Ujjain) के अनुसार, वाल्मीकि रामायण (Valmiki Ramayana) के सुंदर कांड में सर्ग 35 में जब हनुमानजी देवी सीता से मिलते हैं तो श्रीराम के स्वरूप का वर्णन करते हैं। आगे जानिए वाल्मीकि रामायण में कैसा बताया गया है श्रीराम के स्वरूप…

ये है पूरा प्रसंग…
वाल्मीकि रामायण के अनुसार, जब हनुमानजी सहित अन्य वानर देवी सीता की खोज में निकलते हैं तो दक्षिणी समुद्र तट पर जाकर रूक जाते हैं। तब जामवंत हनुमानजी को उनकी शक्ति याद दिलाते हैं। अपने बाहुबल का स्मरण आते ही हनुमानजी समुद्र लांघकर लंका पहुंच जाते हैं। काफी ढूंढने के बाद उन्हें अशोकवाटिका में देवी सीता के दर्शन होते हैं। तब देवी सीता हनुमानजी से कहती है कि “यदि तुम सचमुच श्रीराम के दूत हो तो, उनके स्वरूप का वर्णन करो।” तब हनुमानजी बताते हैं कि…

राम: कमलपत्राक्ष: पूर्णचंद्रभिनानन:।
रूपदाक्षिण्यसंपन्न: प्रसूतों जनकात्मजे।।
अर्थ- जनकनंदिनी, श्रीराम के नेत्र प्रफुल्ल कमल के समान विशाल व सुंदर हैं। मुख पूर्णिमा के समान मनोहर है। वे जन्मकाल से ही रूप और उदारता आदि गुणों से संपन्न है।

तेजसादित्यसंकाश: क्षमया पृथिवीसम:।
बृहस्पतिसमो बुद्धया यशसा वासवोपम:।।
रक्षिता जीवलोकस्य स्वजनस्य च रक्षिता।
रक्षिता स्वस्य वृत्तस्य धर्मस्य च परंतप:।।

अर्थ- वे तेज में सूर्य के समान, क्षमा में पृथ्वी के समान, बुद्धि में बृहस्पति के समान और यश में इंद्र के समान हैं। वे संपूर्ण जीव-जगत के तथा स्वजनों के रक्षक भी हैं। शत्रुओं के संताप देने वाला श्रीराम सदैव धर्म की रक्षा करते हैं।
विपुलांसो महाबाहु: कम्बुग्रीव: शुभानन:।
गूढजत्रु: सुताम्राक्षो रामो नाम जनै: श्रुत:।।
अर्थ- उनका स्वर दुंदुभि के समान गंभीर और शरीर का रंग सुंदर एवं चिकना है। उनका प्रताप बहुत बढ़ा-चढ़ा है। उनके सभी अंग सुडौल और बराबर हैं। उनकी कांति श्याम है।

त्रिस्थिस्त्रिप्रलम्बश्च त्रिसमस्त्रिषु चोन्नत:।
त्रिताम्रास्त्रिषु च स्निग्धो गंभीरस्त्रिषु नित्यश:।।
अर्थ- उनके तीन अंग (वक्षस्थल, कलाई और मुट्ठी) मजबूत हैं। भौहें, भुजाएं और मेढ- ये तीनों अंग लंबे हैं। केशों का अग्र भाग और घुटने ये बराबर हैं। नेत्रों के कोने, नख और हाथ-पैर के तलवे- ये तीन लाल हैं।

त्रिवलीमांस्त्र्यवनतश्चतुर्व्यंगस्त्रिशीर्षवान्।
चतुष्कलश्चतुर्लेखश्चतुष्किष्कुश्चतु: सम:।।
अर्थ- उनके उदर और गले में तीन रेखाएं हैं। तलवों के मध्यभाग और पैरों की रेखाएं ये धंसे हुए हैं। मस्तक में तीन भंवरे हैं। वे चार हाथ ऊंचे हैं। उनके गाल, भुजाएं, जांघे और घुटने- ये चार अंग बराबर हैं।

चतुर्दशसमद्वन्द्वश्चतुर्दष्ट्रश्चतुर्गति:।
महोष्ठहनुनासश्च पंचस्निग्धोष्टवंशवान।।
अर्थ- शरीर में दो-दो सी संख्या में चौदह अंग होते हैं, वे सभी समान हैं। उनकी चारों कोनों की दाढ़ें शास्त्रीय लक्ष्णों से युक्त हैं। वे सिंह, बाघ, हाथी और सांड- इन चार के समान चार प्रकार की गति से चलते हैं। उनके ओठ, ठो़ड़ी और नासिका-सभी प्रशस्त हैं। केश, नेत्र, दांत, त्वचा और पैरों के तलवे चिकने हैं। दोनों भुजाएं, दोनों जांघे, दोनों पिण्डलियां, हाथ-पैर की अंगुलियां-ये सभी उत्त लक्षणों से युक्त हैं।

दशपद्मो दशबृहत्त्रिभिर्व्यातो द्विशुक्लवान।
षडुन्नतो नवतनुस्त्रिभिर्व्याप्नोति राघव:।।
अर्थ- उनके नेत्र, मुख-विवर, मुख-मंडल, जीभ, ओठ, तालु, स्तन, नख, हाथ और पैर- ये दस अंग कमल के समान हैं। छाती, मस्तक, ललाट, गला, भुजाएं, कंधे, नाभि, चरण, पीठ और कान- ये दस अंग विशाल हैं। वे रघुनाथजी पूर्वान्ह, मध्यान्ह और अपराह्न- इन तीनों समय क्रमश: धर्म, अर्थ और काम का अनुष्ठान करते हैं।


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