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Chardham Yatra 2023: उत्तराखंड की चारधाम यात्रा में किन मंदिरों के दर्शन किए जाते हैं, कब कौन-से मंदिर के कपाट खुलेंगे?

इस बार उत्तराखंड की चारधाम यात्रा 22 अप्रैल को अक्षय तृतीया से शुरू होगी। इस चार धाम के अंतर्गत यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ आते हैं। ये सभी पवित्र तीर्थ स्थल हैं, जो प्राचीन काल से ही आस्था का केंद्र हैं। 

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Manish Meharele
Published : Apr 21 2023, 02:37 PM IST
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कब से शुरू होगी चारधाम यात्रा?
Image Credit : Getty

कब से शुरू होगी चारधाम यात्रा?

हर साल उत्तराखंड में चार धाम यात्रा आयोजित की जाती है। लगभग 2 महीने की इस यात्रा में लाखों लोग यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम के दर्शन करते हैं। (Chardham Yatra 2023) इस बार उत्तराखंड की चार धाम यात्रा अक्षय तृतीया यानी 22 अप्रैल से शुरू हो रही है। 22 अप्रैल को गंगोली और यमुनोत्री के कपाट खुलेंगे। इसके बद 25 अप्रैल को केदारनाथ और 27 को बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलेंगे। ये चारों देव स्थान अति प्राचीन है। अनेक धर्म ग्रंथों में इनका वर्णन मिलता है। आगे जानिए इस चारों धामों से जुड़ी खास बातें…

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यमुनोत्री से शुरू होती है चारधाम यात्रा (Yamunotri Temple Uttarakhand)
Image Credit : Getty

यमुनोत्री से शुरू होती है चारधाम यात्रा (Yamunotri Temple Uttarakhand)

उत्तराखंड की चारधाम यात्रा में सबसे पहले भक्त यमुनोत्री के दर्शन करते हैं। इस धार्मिक स्थल से जुड़ी कई परंपराएं और मान्यताएं हैं। कहते हैं कि टिहरी गढ़वाल के राजा प्रतापशाह ने देवी यमुना का ये मंदिर बनवाया था। इसके बाद जयपुर की महारानी गुलेरिया ने इनका जीर्णोद्धार करवाया था। मंदिर में एक विशाल शिला स्तम्भ है जिसे दिव्यशिला के नाम से जाना जाता है। यमुना नदी का स्रोत हिमनंद (चंपासर ग्लेशियर) है।

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गंगोत्री में होती है देवी गंगा की पूजा (Gangotri Temple Uttarakhand)
Image Credit : Getty

गंगोत्री में होती है देवी गंगा की पूजा (Gangotri Temple Uttarakhand)

धर्म ग्रंथों के अनुसार राजा भगीरथ कठिन तपस्या के बाद गंगा को धरती पर लाए थे। गंगा नदी का उद्गम स्थल गोमुख है। गंगोत्री मंदिर में कहा जाता है कि 1790 से 1815 के बीच कुमाऊं-गढ़वाल पर गोरखाओं का राज था। उस समय गोरखा जनरल अमर सिंह थापा इस मंदिर का निर्माण करवाया था। एक मान्यता ये भी है कि इसी स्थान पर राजा भगीरथ ने तपस्या की थी और गंगा की प्रथम धारा भी यहीं गिरी थी।

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महाभारत में मिलता है केदारनाथ का वर्णन (Kedarnath Temple Uttarakhand)
Image Credit : Getty

महाभारत में मिलता है केदारनाथ का वर्णन (Kedarnath Temple Uttarakhand)

भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिगों में केदारनाथ भी एक है। इस मंदिर का वर्णन महाभारत सहित की ग्रंथों में मिलता है। वर्तमान मंदिर की संरचना आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा बनवाई गई है। मान्यता है कि यहां स्थापित ज्योतिर्लिंग आधा है और इसका आधा हिस्सा नेपाल में पशुपतिनाथ मंदिर में स्थित है। ये मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में 11वां है। ये सबसे ऊंची जगह पर स्थापित ज्योतिर्लिंग है।

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बद्रीनाथ में नर-नारायण ने की थी तपस्या (Badrinath Temple Uttarakhand)
Image Credit : Getty

बद्रीनाथ में नर-नारायण ने की थी तपस्या (Badrinath Temple Uttarakhand)

बद्रीनाथ धाम का वर्णन भी कई धर्म ग्रंथों में मिलता है। मान्यता है कि इसी स्थान पर भगवान विष्णु के अवतार नर-नारायण ने तपस्या की थी। तपस्या करते समय महालक्ष्मी ने बदरी यानी बेर का पेड़ बनकर भगवान विष्णु को छाया दी थी। इसलिए इस स्थान का नाम बद्रीनाथ पड़ा। बद्रीनाथ मंदिर में भगवान विष्णु की एक मीटर ऊंची काले पत्थर की मूर्ति स्थापित है। मंदिर का वर्तमान स्वरूप आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा बनवाया गया है।


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें। आर्टिकल पर भरोसा करके अगर आप कुछ उपाय या अन्य कोई कार्य करना चाहते हैं तो इसके लिए आप स्वतः जिम्मेदार होंगे। हम इसके लिए उत्तरदायी नहीं होंगे।

About the Author

MM
Manish Meharele
मनीष मेहरेले। मीडिया जगत में इनके पास 19 साल से ज्यादा का अनुभव है। वर्तमान समय में ये एशियानेट न्यूज हिंदी के साथ जुड़कर धर्म-आध्यात्म बीट पर काम कर रहे हैं। करियर की शुरुआत इन्होंने स्थानीय अखबार दैनिक अवंतिका से की थी। इसके बाद वह दैनिक भास्कर प्रिंट उज्जैन में वाणिज्य डेस्क प्रभारी रहे और 2010-2019 तक दैनिक भास्कर डिजिटल में धर्म डेस्क पर काम किया। इन्हें महाभारत, रामायण जैसे धार्मिक ग्रंथों का अच्छा ज्ञान है। इनके पास जीव विज्ञान में बीएससी स्नातक की डिग्री है।

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