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नाहरगढ़ का रहस्यमयी गणेश मंदिर, 350 साल से बिना सूंड के बैठे हैं बप्पा, आज तक किसी के पास एक फोटो नहीं
जयपुर की स्थापना से पहले नाहरगढ़ की पहाड़ियों पर एक गणपति मंदिर की स्थापना की गई थी। यह दुनिया का ऐसा इकलौता गणेश मंदिर माना जाता है, जहां बिना सूंड वाले गणपति बैठे हैं, वह भी बाल रूप में। इस मंदिर में बप्पा की फोटो खींचना सख्त मना है।
| Published : Sep 19 2023, 09:49 AM IST / Updated: Sep 19 2023, 09:52 AM IST
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जयपुर. जयपुर की स्थापना से पहले नाहरगढ़ की पहाड़ियों पर एक गणपति मंदिर की स्थापना की गई थी। यह दुनिया का ऐसा इकलौता गणेश मंदिर माना जाता है, जहां बिना सूंड वाले गणपति बैठे हैं, वह भी बाल रूप में। इस मंदिर में बप्पा की फोटो खींचना सख्त मना है। किवदंती है कि ऐसा करने पर अनर्थ हो सकता है। मान्यता है कि यहां मांगी गई हर मन्नत पूरी होती है।
लोगों का मानना है कि बिना गणपति की आज्ञा के कोई भी यहां नहीं आ पाता है। गणेश जी का यह मंदिर 100 फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। मंदिर तक जाने के लिए दुर्गम पहाड़ी से होकर ही गुजरना पड़ता है।
करीब 350 साल पुराने इस मंदिर में विराजे बप्पा का आज तक किसी ने फोटो नहीं खींच पाया है। मंदिर परिसर और मूर्ति की फोटो लेना सख्त मना है।
इस मंदिर को लोग गढ़ गणेश मंदिर कहते हैं। गढ़ यानि पहाड़। इसी वजह से इसका नाम गढ़ गणेश पड़ा। इस मंदिर को लोग गढ़ गणेश मंदिर कहते हैं। गढ़ यानि पहाड़। इसी वजह से इसका नाम गढ़ गणेश पड़ा।
मंदिर की स्थापना राजस्थान के एक पूर्व राजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने की थी। उन्होंने पहाड़ पर ही अश्वमेघ यज्ञ किया गया था और बाल स्वरूप बिना सूंड वाले गणेश जी की स्थापना की थी। मंदिर को पहाड़ी पर इसलिए बनाया गया था, ताकि पूरा शहर चारों ओर से दिख सके। मंदिर से पूरा पुराना शहर दिखाई देता है।
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मंदिर में बप्पा की मूर्ति इस तरह से विराजी गई है कि जयपुर के राजमहल से दूरबीन की मदद से इसे देखा जा सके। महाराज सवाई जयसिंह द्वितीय हर रोज दूरबीन से दर्शन करने के बाद ही राज काज शुरू किया करते थे। मंदिर में निर्माण कार्य जटिल होने से यह कई साल चला।मंदिर तक पहुंचने के लिए 365 सीढ़िया हैं। हर सीढ़ी एक साल में बन सकी।
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