सार

हरतालिका तीज व्रत की कथा देवी सती के शिवजी के प्रति अटूट प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। यह कथा हमें सती के त्याग और शिवजी की भक्ति के महत्व को समझाती है।

Hartalika Teej Katha In Hindi: इस बार हरतालिका तीज का व्रत 6 सितंबर, शुक्रवार को किया जाएगा। इस दिन इंद्र, ब्रह्म, सवार्थसिद्धि और बुधादित्य नाम के कईं शुभ योग भी बन रहे हैं, जिसके चलते इस व्रत का महत्व और भी बढ़ गया है। इस दिन महिलाएं कुछ भी खाती-पीती नहीं हैं। रात भर पूजा के दौरान हरतालिका तीज व्रत की कथा सुनती हैं। बिन कथा सुने इस व्रत का पूरा फल नहीं मिलता। आगे जानिए इस व्रत से जुड़ी कथा…

ये है हरतालिका तीज की कथा (Hartalika Teej Story)
- पुराणों के अनुसार, ब्रह्मदेव के पुत्र दक्ष प्रजापति की एक पुत्री थी, जिसका नाम सती था। देवी सती भगवान शिव की परम भक्त थी। सती ने तपस्या से शिवजी को प्रसन्न किया और पति रूप में प्राप्त किया।
- एक बार प्रजापति दक्ष ने एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया, लेकिन इसमें शिव और सती को नहीं बुलाया। शिवजी के मना करने के बाद भी देवी सती बिना निमंत्रण के उस यज्ञ में पहुंच गई।
- जब देवी सती ने उस यज्ञ में अपने पति का अपमान देखा तो यज्ञ कुंड में कूदकर आत्मदाह कर लिया। इस घटना से शिवजी को बहुत शोक हुआ और वे योगनिद्रा यानी तपस्या करने चले गए।
- देवी सती ने अगले जन्म में हिमालय की पुत्री पार्वती के रूप में जन्म लिया। इस जन्म में भी वे महादेव को ही पति रूप में पाना चाहती थीं। इसके लिए वे दिन रात शिवजी का ही ध्यान करने लगी।
- एक दिन देवी पार्वती की सखियां जया-विजया उन्हें घने जंगल ले गईं। जहां माता पार्वती ने रेत से शिवलिंग का निर्माण किया और भोलेनाथ की तपस्या को प्रसन्न करन के लिए घोर तपस्या की।
- देवी पार्वती की ये कठोर तपस्या 12 साल तक चली। प्रसन्न होकर शिवजी ने उन्हें दर्शन दिए और पत्नी रूप में स्वीकार किया। इसी तपस्या को हरतालिका तीज व्रत कहा जाता है।


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