सार

Bail Pola 2024 Kab Hai: इस बार बैल पोला का त्योहार 2 सितंबर, सोमवार को मनाया जाएगा। वैसे तो ये पर्व पूरे देश में मनाया जाता है लेकिन महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में ये त्योहार मुख्य रूप से मनाया जाता है।

 

Bail Pola 2024 Details: भाद्रपद मास की अमावस्या को कुशग्रहणी अमावस्या कहते हैं। इस बार ये अमावस्या 2 सितंबर, सोमवार को है। सोमवार को अमावस्या तिथि होने से ये सोमवती अमावस्या कहलाएगी। इस दिन महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ आदि राज्यों में बैल पोला का त्योहार मनाया जाएगा, जिसे पोला पिठोरा भी कहते हैं। इस त्योहार में बैलों की पूजा का विशेष महत्व है। इस पर्व से जुड़ी कईं मान्यताएं भी हैं।

जानें बैल पोला की कथा (Bail Pola Ki Katha)
प्रचलित कथाओं के अनुसार, द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण को मारने के लिए कंस ने कई प्रयास किए, लेकिन वो इस काम में सफल नहीं हो पाया। तब कंस ने पोलासुर नाम का एक राक्षस श्रीकृष्ण को मारने के लिए भएजा। पोलासुर बैल का रूप लकर पशुओं के साथ शामिल हो गया। श्रीकृष्ण ने पशुओं के झुंड में भी उसे पहचान लिया और उसका वध कर दिया। तभी से बैल पोला का पर्व मनाया जा रहा है।

कैसे मनाते हैं बैल पोला का त्योहार?
- बैल पोला के दिन किसान अपने बैलों से कोई काम नहीं लेते और इनके गले की रस्सी भी निकाल देते हैं।
- किसान अपने बैलों की तेल से मालिश खूब मालिश करते हैं। ताकि उसके बैल सुंदर नजर आ सकें।
- बाद में इन बैलों को नहलाकर रंग-बिरंगे कपड़ों से सजाया जाता है। बैलों को आभूषण भी पहनाते हैं।
- इस दिन बैलों को खास तौर पर बनी बाजरे की खिचड़ी खिलाई जाती है। जो इनका मनपसंद भोजन होता है।
- बैलों की सेवा करने के बाद सभी किसा एक जगह इकट्ठा होकर बैलों का जुलूस निकालते हैं।
- बैलों से जुड़ी प्रतियोगिताएं भी इस दिन आयोजित की जाती हैं। किसान इस दिन नाचते-गाते भी हैं।
- लोग इस दिन अपने घरों में भी विशेष तरह के पकवान बनाते हैं और एक-दूसरे को बधाई भी देते हैं।
- ये पर्व देश के कईं जगह मनाते हैं, लेकिन इसकी सबसे ज्यादा रौनक महाराष्ट्र में देखी जाती है।
- महाराष्ट्र में बैल पोला को मोठा पोला भी कहते हैं एवं इसके दूसरे दिन को तान्हा पोला कहा जाता है।


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