सार

Jyeshtha Maas 2024: हिंदू धर्म ग्रंथों में हर महीने का महत्व बताया गया है। ज्येष्ठ मास भी इनमें से एक है। ये हिंदू कैलेंडर का तीसरा महीना है। इस महीने के स्वामी भगवान विष्णु स्वयं हैं। इस महीने में उनके त्रिविक्रम रूप की पूजा की जाती है।

 

Jyeshtha Maas 2024 Significance:हिंदू कैलेंडर के तीसरे महीने का नाम ज्येष्ठ है। धार्मिक दृष्टिकोण से इस महीने का खास महत्व है। शिवपुराण, महाभारत व अन्य ग्रंथों में भी इसका महत्व बताया गया है। इस बार ज्येष्ठ मास 24 मई, शुक्रवार से शुरू हो चुका है, जो 22 जून, शनिवार तक रहेगा। इस महीने में कईं विशेष व्रत-त्योहार भी मनाए जाते हैं। साथ ही इस महीने में दान का भी खास महत्व है। आगे जानिए किस ग्रंथ में क्या लिखा है ज्येष्ठ मास के बारे में…

ज्येष्ठ मास में क्या दान करें? 
शिवपुराण के अनुसार ज्येष्ठ मास में तिल का दान बलवर्धक और मृत्युनिवारक होता है। यानी इस महीने में जरूरतमंदों को तिल का दान करना चाहिए। धर्मसिन्धु के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा को तिलों के दान से अश्वमेध यज्ञ का फल होता है। साथ ही इस महीने में तरल पदार्थ और ठंडी चीजों जैसे पानी, शर्बत, तरबूज, खरबूज, आम, पपीता आदि का दान भी करना चाहिए।

महाभारत में क्या लिखा है ज्येष्ठ मास के बारे में…
“ज्येष्ठामूलं तु यो मासमेकभक्तेन संक्षिपेत्।
ऐश्वर्यमतुलं श्रेष्ठं पुमान्स्त्री वा प्रपद्यते।।”
अर्थ- जो एक समय ही भोजन करके ज्येष्ठ मास को बिताता है वह स्त्री हो या पुरुष, अनुपम श्रेष्ठ ऐश्वर्य को प्राप्त करता है। यानी ज्येष्ठ मास में भीषण गर्मी होती है। इस महीने में अधिक भोजन करने से कईं तरह की शारीरिक परेशानी हो सकती है। इसलिए इस महीने में सिर्फ एक समय ही भोजन करना चाहिए ताकि सेहत ठीक बनी रहेगी।

विष्णुपुराण के अनुसार…
यमुनासलिले स्त्रातः पुरुषो मुनिसत्तम!
ज्येष्ठामूलेऽमले पक्षे द्रादश्यामुपवासकृत् ।।
तमभ्यर्च्च्याच्युतं संम्यङू मथुरायां समाहितः ।
अश्वमेधस्य यज्ञस्य प्राप्तोत्यविकलं फलम् ।।
अर्थ- ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को जो व्यक्ति उपवास करते हुए यमुना स्नान करके भगवान श्रीविष्णु की पूजा करता है, वह अश्वमेध-यज्ञ का सम्पूर्ण फल प्राप्त करता है। महाभारत के अनुसार ज्येष्ठ मास की द्वादशी तिथि पर भगवान विष्णु के त्रिविक्रम रूप की पूजा करना चाहिए।


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