सार
Bada Mangal 2024: उत्तर प्रदेश और इसके आस-पास के क्षेत्रों में ज्येष्ठ मास के सभी मंगलवार को बड़ा मंगल कहते हैं और इस दिन हनुमानजी की पूजा विशेष रूप से की जाती है। जानें कब है साल 2024 का पहला बड़ा मंगल…
धर्म ग्रंथों के अनुसार, मंगलवार के स्वामी भगवान हनुमानजी हैं। इसलिए हर मंगलवार को इनकी पूजा विशेष रूप से का जाती है। लेकिन सभी मंगलवारों में से ज्येष्ठ मास में आने वाले मंगलवार बहुत ही खास माने गए हैं। इन्हें बड़ा मंगल और बुढ़वा मंगल भी कहा जाता है। मान्यता है कि ज्येष्ठ मास के मंगलवार को ही हनुमानजी और श्रीराम की पहली मुलाकात हुई थी। आगे जानिए इस बार कब है ज्येष्ठ मास का पहला बड़ा मंगल, पूजा विधि, मंत्र आरती आदि…
कब है 2024 का पहला बड़ा मंगल?
पंचांग के अनुसार, इस बार ज्येष्ठ मास की शुरूआत 24 मई, शुक्रवार से हो चुकी है और इसका पहला मंगलवार 28 मई, मंगलवार को पड़ रहा है। इसलिए इसी दिन बड़ा मंगल और बुढ़वा मंगल का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी और षष्ठी तिथि रहेगी। 28 मई को ब्रह्म, इंद्र और पद्म नाम के 3 शुभ योग दिन भर रहेंगे।
इस विधि से करें हनुमानजी की पूजा (Bada Mangal 2024 Puja Vidhi)
- 28 मई, मंगलवार की सुबह जल्दी उठकर पहले स्नान आदि करें और बाद में व्रत-पूजा का संकल्प लें। घर का कोई हिस्सा साफ करें और वहां बाजोट के ऊपर हनुमानजी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- प्रतिमा के सामने शुद्ध घी का दीपक लगाएं। हनुमानजी को तिलक लगाएं और फूलों की माला पहनाएं। इसके बाद एक-एक करके पूजन सामग्री चढ़ाते रहें। इच्छा अनुसार भगवान का भोग लगाएं।
- इसी स्थान पर बैठकर हनुमानजी के मंत्रों का जाप करें। अंत में हनुमानजी की आरती करें। इस प्रकार पूजा करने से हनुमानजी प्रसन्न होते हैं अपने भक्तों की हर इच्छा पूरी करते हैं।
हनुमानजी की आरती (Hanumanji Ki Aarti)
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके।।
अनजानी पुत्र महाबलदायी। संतान के प्रभु सदा सहाई।
दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारी सिया सुध लाए।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई।
लंका जारी असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आणि संजीवन प्राण उबारे।
पैठी पताल तोरि जम कारे। अहिरावण की भुजा उखाड़े।
बाएं भुजा असुरदल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे।
सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे। जै जै जै हनुमान उचारे।
कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई।
लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई।
जो हनुमान जी की आरती गावै। बसी बैकुंठ परमपद पावै।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।
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