सार

kalpavaas 2025: हिंदू पंचांग का 11वां महीना माघ इस बार 14 जनवरी से शुरू होगा। इस महीने में लोग उत्तरप्रदेश के प्रयागराज में संगम स्थान के तट पर कल्पवास करते हैं। कल्पवास के नियम बहुत ही कठिन हैं।

 

kalpavaas Kya Hota Hai: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी से महाकुंभ शुरू होने जा रहा है। इसके अगले ही दिन से माघ मास शुरू हो जाएगा। हिंदू धर्म में माघ मास का विशेष महत्व बताया गया है। माघ मास में हर साल प्रयागराज के संगम तट पर कल्पवास होता है, इसे माघ मेला भी कहते हैं। इस बार कल्पवास बहुत ही विशेष रहेगा क्योंकि इस दौरान कुंभ मेला भी लगा रहेगा। 12 साल में एक बार कल्पवास के साथ कुंभ का संयोग बनता है। जानिए कल्पवास से जुड़ी खास बातें…

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क्या होता है कल्पवास?

कल्पवास के दौरान साधु-संत और अन्य लोग एक महीने तक संगम तट पर कुटिया या टेंट बनाकर रहते हैं। इस दौरान वे कईं कठोर नियमों का पालन करते हैं। कल्पवास के दौरान रोज पवित्र संगम नदी में स्नान, मंत्र जाप और दान करने का विशेष महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है। रामचरित मानस में गोस्वामी तुलसीदासजी ने लिखा है-
माघ मकरगत रबि जब होई। तीरथपतिहिं आव सब कोई॥
देव दनुज किंनर नर श्रेनीं। सादर मज्जहिं सकल त्रिबेनीं॥

अर्थ- माघ महीने में जब सूर्य मकर राशि पर जाते हैं तब सब लोग तीर्थराज प्रयाग आते हैं। देवता, दैत्य, किन्नर और मनुष्यों के समूह सब आदरपूर्वक त्रिवेणी में स्नान करते हैं।

कब से शुरू होगा कल्पवास 2025?

पंचांग के अनुसार, इस बार माघ मास 14 जनवरी, सोमवार से शुरू होगा। कल्पवास करने वाले इसके एक दिन पहले से ही यानी पौष मास की पूर्णिमा (इस बार 13 जनवरी) से ही संगम तट पर आ जाते हैं और कल्पवास का संकल्प लेते हैं। इसी दिन से कल्पवास भी आरंभ हो जाता है। इस बार कल्पवास 12 फरवरी, बुधवार तक रहेगा।

कल्पवास का महत्व

धर्म ग्रंथों के अनुसार, कल्पवास के अंतर्गत लोग पौष पूर्णिमा से माघ पूर्णिमा तक प्रयाग के संगम तट पर कुटिया बनाकर रहते हैं। इसे ही कल्पवास कहते हैं। कल्पवास का शाब्दिक अर्थ 'कल्प' यानी युग और 'वास’ यानी रहना। मान्यता है कि जो व्यक्ति कठोर नियमों का पालन करते हुए कल्पवास करता है उसे एक युग में किए गए स्नान, मंत्र जप और दान का फल मिलता है।


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