सार
Mother's Day 2024: हर साल मई माह के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाता है। ये दिन मां के प्रति अपनी भावनाएं प्रकट करने का है। इस दिन बच्चे अपनी मां को खास उपहार भी देते हैं।
इस बार मदर्स डे 12 मई, रविवार को है। ये दिन इसलिए सेलिब्रेट किया जाता है क्योंकि बच्चे मां के प्रति अपनी भावनाएं प्रकट कर सकें। महान विद्वान आचार्य चाणक्य के अनुसार, हर व्यक्ति के जीवन में जन्म देने वाली मां का स्थान सबसे ऊपर होता है। चाणक्य नीति के अनुसार, अपनी मां के अलावा 4 अन्य स्त्रियों को भी मां के समान ही आदर-सम्मान देना चाहिए। जानें उन महिलाओं के बारे में…
श्लोक
राजपत्नी गुरोः पत्नी मित्र पत्नी तथैव च
पत्नी माता स्वमाता च पञ्चैता मातरः स्मृता
अर्थ- राजा की पत्नी, गुरु की पत्नी, मित्र की पत्नी और पत्नी की मां को भी अपनी मां के समान ही आदर देना चाहिए।
राजा की पत्नी को क्यों समझें माता?
आचार्य चाणक्य के अनुसार, राजा प्रजा का पालन-पोषण करता है और परेशानी में उनके साथ खड़ा होता है। इस तरह एक राजा प्रजा पिता के समान व्यवहार करता है। इस दृष्टिकोण से देखें तो राजा की पत्नी को माता के समान ही समझना चाहिए। क्योंकि जो भी व्यक्ति उच्च पद पर रहते हुए हमारे हित के कार्य करे, उसकी पत्नी हमारी माता के समान ही होती है।
गुरु की पत्नी को क्यों समझे माता?
प्राचीन समय में हमारे देश में गुरुकुल के माध्यम से बच्चे शिक्षा ग्रहण करते थे। यहां गुरु अपने शिष्यों को वेद-वेदांगों आदि की शिक्षा देते हैं, वहीं उनकी पत्नी उन शिष्यों के लिए भोजन आदि की व्यवस्था करती थी। इस तरह माता से दूर रहते हुए भी उन बच्चों को माता के समान स्नेह गुरु की पत्नी से ही प्राप्त होता है। इसलिए शिष्य इन्हें गुरुमाता कहते थे। वर्तमान समय में जो हमारे शिक्षक हैं, उनकी पत्नी को ही हमें गुरुमाता समझकर मान-सम्मान देना चाहिए।
मित्र की पत्नी को क्यों समझें माता?
चाणक्य नीति के अनुसार, जिस तरह हम अपने भाई की पत्नी को भाभी मां बोलकर संबोधित करते हैं, उसी तरह हमारे मित्र की पत्नी भी होती है। मुसीबत आने पर भाई की तरह मित्र भी हमारी मदद करते हैं। जब कभी हम अपने मित्र के घर जाते हैं तो वहां उनकी पत्नी स्नेहपूर्वक हमारे लिए भोजन भी बनाती है। इसलिए मित्र और भाई की पत्नी को मां के समान आदर देना चाहिए।
पत्नी की मां को क्यों समझें माता?
पत्नी की माता यानी सास। जिस तरह हम अपनी माता से प्रेम करते हैं, उसी तरह हमारी पत्नी भी उसकी माता को प्रेम करती है और विवाह के बाद वह हमारे परिवार को अपना मानकर सम्मान देती है। ऐसी ही व्यवहार हमारा भी होना चाहिए। जिस तरह पत्नी हमारी माता की सेवी करती है, उसी तरह हमें भी पत्नी की माता को अपनी माता के समान आदर-सम्मान देना चाहिए।
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