सार
Nagpanchami Ki Katha: इस बार नागपंचमी का पर्व 21 अगस्त, सोमवार को मनाया जाएगा। इस दिन नागदेवता की पूजा करने की परंपरा है। मान्यता है कि इस दिन जो भी व्यक्ति नागदेवता की पूजा करता है उसे सर्प भय से मुक्ति मिलती है और परेशानियां दूर होती हैं।
उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार, श्रावण शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी (Nagpanchami 2023) का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 21 अगस्त, सोमवार को है। इस दिन देश के प्रमुख नाग मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। महिलाएं नागदेवता की पूजा करती हैं, दूध से अभिषेक करती हैं। इस दिन नागपंचमी की कथा (Nagpanchami Ki Katha) भी जरूर सुनी जाती है। मान्यता है कि इस कथा को सुने बगैर नागपंचमी पूजा का पूरा फल नहीं मिल पाता। आगे जानिए क्या है ये कथा…
ये है नागपंचमी की कथा
किसी शहर में एक सेठ रहता था। उसके सात बेटे थी, सभी की शादी हो चुकी थी। इनमें से सबसे छोटे बेटे की पत्नी बहुत समझदार थी, लेकिन उसका कोई भाई नहीं था। एक दिन सभी बहुएं घर को लीपने के लिए पीली मिट्टी लाने के लिए खेत में गई। जब सबसे बड़ी बहू खुरपी से मिट्टी खोद रही थी, सभी समय वहां एक भयंकर विषधर सांप निकल आया।
सांप को देख बड़ी बहू डर गई और खुरपी से सांप को मारने लगी। छोटी बहू ने जब ये देखा तो सांप की जान बचाई और घायल सर्प को पेड़ के नीचे ले जाकर रख दिया और ये भी कहा कि ‘तुम कहीं जाना मत, हम थोड़ी देर में आते हैं।’ लेकिन छोटी बहू अपने काम में व्यस्त हो गई और अपनी कही हुई बात को भूल गई।
अगले दिन छोटी बहू को जब सांप की याद आई तो वह तुरंत उस स्थान पर पहुंची जहां उसने सांप को रखा था। सांप तब तक काफी ठीक हो चुका था। छोटी बहू ने उस सर्प से माफी मांगी। सांप ने कहा ‘अगर तुम यहां नहीं आती तो झूठ बोलने के अपराध में मैं तुम्हें डस लेता। छोटी बहू का जीवों के प्रति प्रेम देखकर सांप ने उसे अपनी बहन बना लिया।
कुछ दिन बाद वह सांप इंसानी रूप लेकर छोटी बहू के घर पहुंचा और बोला कि ‘मैं अपनी बहन को लेने आया हूं।’ इसके पहले किसी ने उसे नहीं देखा तो उसने कहा कि ‘मैं आपकी छोटी बहू का दूर का भाई हूं।’ छोटी बहू ने उसे पहचान लिया और घर वालों को मनाकर उसके साथ चली गई। सर्प ने अपनी मुंहबोली बहन के लिए एक आलीशान घर बनाया और दोनों उसमें रहने लगे।
कुछ दिनों बाद जब छोटी बहू को अपने घर की याद सताने लगी तो सर्प ने बहुत सारा धन और एक मणियों का हार देकर उसे विदा किया। उस हार की प्रशंसा पूरे शहर में फैल गई। जब ये बात वहां की रानी को बता चली तो उसने बलपूर्वक वह हार छोटी बहू से ले लिया। तब छोटी बहू ने अपने सर्प भाई को याद किया और उसे पूरी बात सच-सच बता दी।
जैसे ही रानी ने वो हार पहना उस सर्प के रूप में बदल गया। घबराकर रानी ने वह हार वापस छोटी बहू को लौटा दिया। जब ये बात छोटी बहू के पति को पता चली तो उसने इन सबके पीछे का कारण पूछा। तब छोटी बहू ने पूरी बात सच-सच बता दी। सारी बात जानकर छोटी बहू के पति ने नाग देवता का सत्कार किया। तभी से नागपंचमी का पर्व मनाया जा रहा है।
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