इस बार 22 मई, शुक्रवार को शनि जयंती है। इस दिन शनिदेव की पूजा का विशेष महत्व है।
गरुड़ पुराण के अनुसार, आगे बताए गए 5 काम करने से देवी लक्ष्मी मनुष्य तो क्या स्वयं भगवान विष्णु का भी त्याग कर देती हैं।
सभी की जन्म कुंडली में कुछ ग्रह शुभ स्थिति में होते हैं तो कुछ अशुभ। इन अशुभ ग्रहों की शांति के लिए अनेक उपाय किए जा सकते हैं।
महाभारत के प्रमुख पात्र भीम, अर्जुन, नकुल व सहदेव अपने बड़े भाई युधिष्ठिर का बहुत आदर करते थे। युधिष्ठिर जो आज्ञा देते, उनके भाई उसे किसी भी तरह पूरी करते थे।
सुबह की शुरुआत अच्छी हो जाए तो पूरा दिन सुखद और शांत रहता है। इसी वजह सुबह-सुबह कोई ऐसा काम नहीं करना चाहिए, जिससे दिन की शुरुआत ही बिगड़ जाए।
अगर घर में वास्तु से जुड़े दोष होते हैं तो परिवार को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। किसी भी काम में आसानी से सफलता नहीं मिल पाती है।
14 मई, गुरुवार को सूर्य मेष राशि को छोड़कर वृष राशि में प्रवेश करेगा। सूर्य के वृष राशि में जाने से इसे वृष संक्रांति कहा जाएगा।
कौरवों से जुएं में हारने के बाद पांडवों को 12 वर्ष का वनवास और 1 साल का अज्ञातवास बिताना था। 12 साल वनवास में रहने के बाद जब अज्ञातवास का समय आया तो पांडव घुमते हुए विराट नगर तक पहुंच गए।
11 मई, सोमवार से शनि ग्रह मकर राशि में वक्री हो चुका है। शनि के वक्री होने से कुछ लोगों के लिए परेशानियां बढ़ सकती हैं।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, भगवान की पूजा अगर मन लगाकर की जाए तो दुनिया के सभी सुख मिल सकते हैं। यही कारण है कि हिंदू धर्म में पूजा-पाठ का विशेष महत्व माना गया है।