Sawan 2024: क्या है भगवान शिव के धनुष और चक्र का नाम?
Sawan 2024: इन दिनों भगवान शिव की भक्ति का महीना सावन चल रहा है। इस महीने में की गई शिव पूजा बहुत ही जल्दी शुभ फल प्रदान करती है। धर्म ग्रंथों में भगवान शिव के अनेक अस्त्र-शस्त्रों के बारे में भी बताया गया है।
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जानें शिवजी के अस्त्र-शस्त्रों के बारे में
Shivji Ke Dhanush Ka Kya Naam Hai: इस बार सावन मास 22 जुलाई से शुरू हो चुका है, जो 19 अगस्त तक रहेगा। इस महीने में की गई शिव पूजा विशेष शुभ फल प्रदान करती है। भगवान शिव के बारे में कईं रोचक बातें धर्म ग्रंथों में बताई गई है। भगवान शिव के स्वरूप से कई अस्त्र-शस्त्र जुड़े हैं। महादेव ने प्रसन्न होकर अपने भक्तों को ये अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए थे, भले ही वो राक्षस हो या देवता। आगे जानिए शिवजी के इन्हीं अस्त्र-शस्त्रों के बारे में…
क्या है भगवान शिव के धनुष का नाम?
धर्म ग्रंथों के अनुसार, भगवान शिव के धनुष का नाम पिनाक है। ये धनुष महर्षि दधिची की अस्थियों से बना है। देवताओं के शिल्पी विश्वकर्मा ने स्वयं इसका निर्माण किया है। भगवान शिव ने इसी धनुष से त्रिपुरों का नाश किया था। देवी सीता के स्वयंवर में भगवान श्रीराम के हाथों ये धनुष भंग हो गया था यानी टूट गया था।
क्या है भगवान शिव के चक्र का नाम?
भगवान शिव के अस्त्र-शस्त्रों में चक्र भी शामिल है। इनके चक्र का नाम सुदर्शन है, जो सदैव भगवान विष्णु के पास रहता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, एक बार भगवान विष्णु ने अपनी पूजा से भगवान शिव को प्रसन्न कर लिया। तब उन्होंने भगवान विष्णु को अपना प्रिय सुदर्शन चक्र प्रदान किया था। ये चक्र द्वापरयुग में परशुराम के पास था और बाद में ये भगवान श्रीकृष्ण के पास चला गया।
क्या है भगवान शिव के त्रिशूल का नाम?
भगवान शिव का मुख्य अस्त्र त्रिशूल है जो हमेशा उनके हाथों में नजर आता है। इसी त्रिशूल ने भगवान शिव ने अनेक राक्षसों का वध किया था। इसका कोई नाम धर्म ग्रंथों में नहीं बताया गया है। शिवजी का ये त्रिशूल महाअस्त्र है। अंधकासुर, शंखचूड़ आदि कईं दानवों को वध शिवजी ने इसी से किया था।
ये हैं भी महादेव के अस्त्र-शस्त्र
भगवान शिव के प्रमुख शस्त्रों में खड्ग भी शामिल है, जो उन्होंने रावण के बेटे मेघनाद को दी थी। ये अजेय अस्त्र था, इसलिए लक्ष्मण भी इसके वार से घायल हो गए थे। इसके अलावा पाशुपात अस्त्र का वर्णन भी धर्म ग्रंथों में मिलता है। अर्जुन ने घोर तपस्या कर शिवजी से ये अस्त्र प्राप्त किया था।