सार

Omkareshwar Adi Shankaracharya Statue Unveiled: 21 सितंबर, गुरुवार को मध्य प्रदेश के ओंकारेश्वर में आदि गुरु शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान करने वाले हैं। आदि गुरु शंकराचार्य भारत के महान विद्वान थे।

 

उज्जैन. आदि गुरु शंकराचार्य के बारे में हम सभी ने कभी न कभी जरूर सुना होगा। ये भारत के महान विद्वान थे। हिंदू धर्म का प्रभुत्व स्थापित करने के लिए उन्होंने अनेक कार्य किए। 21 सितंबर, गुरुवार को मध्य प्रदेश के ओंकारेश्वर में उनकी 108 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित की जा रही है। इसका अनावरण मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान करेंगे (Omkareshwar Adi Shankaracharya Statue Unveiled)। आदि गुरु शंकराचार्य के जीवन में कईं अद्भुत घटनाएं हुईं। इन्हीं में से एक है प्रकांड पंडित मंडन मिश्र के साथ उनका शास्त्रार्थ। इस शास्त्रार्थ में मंडन मिश्र की पत्नी ने शंकराचार्य से एक सवाल पूछा कि उन्हें 6 महीने का समय लेना पड़ा। आगे जानिए क्या है ये घटना…

केरल में हुआ आदि गुरु शंकराचार्य का जन्म
आदि गुरु शंकराचार्य का जन्म केरल के कालपी में कोई ढाई हजार साल पहले हुआ था। इनके पिता शिवगुरु नामपुद्र और माता का नाम विशिष्ठा देवी था। शंकराचार्य ने 6 साल की उम्र में ही सारे वेद पड़ डाले और 8 साल की उम्र में उन्होंने संन्यास ले लिया। इसके बाद वे धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए भारत भ्रमण पर निकल पड़े। इस दौरान उन्होंने अनेक मंदिरों का निर्माण किया और अनेक मंदिरों का जीर्णोद्धार भी किया।

जब मंडन मिश्र से हुआ शास्त्रार्थ
शंकराचार्य जब भारत भ्रमण करते हुए काशी पहुंचे तो उन्हें मशहूर विद्वान कुमारिल भट्ट के शिष्य और मिथिला के पंडित मंडन मिश्र ने शास्त्रार्थ की चुनौती दी। शास्त्रार्थ के निर्णायक के रूप में मंडन मिश्र की पत्नी उभय भारती को चुना गया। शास्त्रार्थ के दौरान जब मंडन मिश्र की हार नजर आने लगी तो उनकी पत्नी उभय भारती ने कहा कि ‘मैं मंडन मिश्र की अर्धांगिनी हूं, अभी आपने आधे को ही हराया है। मुझसे भी आपको शास्त्रार्थ करना होगा।’

भारती ने पूछा कामशास्त्र का सवाल
उदय भारती और आदि गुरु शंकराचार्य में भी लंबा शास्त्रार्थ हुआ। जब भारती को यह लगने लगा कि अब वे शंकराचार्य से हार जाएंगी। तब उन्होंने शंकराचार्य से पूछा ‘काम क्या है? इसकी प्रक्रिया क्या है और इससे संतान कैसे पैदा होती है? शंकराचार्य कामसूत्र के बारे में नहीं जानते थे, इसलिए उन्होंने इसका जवाब देने के लिए 6 महीने का समय मांगा।

राजा के शरीर में रहे 6 माह
भारती के सवाल का जवाब जानने के लिए शंकराचार्य ने योग क्रिया के माध्यम से अपना शरीर त्याग कर एक मृत राजा की देह में प्रवेश किया और उसकी पत्नी के साथ कई दिनों तक रहकर कामशास्त्र के बारे में जाना। इसके बाद उन्होंने भारती के प्रश्नों का उत्तर दिया। इस तरह आदि गुरु शंकराचार्य ने मंडन मिश्र के साथ-साथ उनकी पत्नी को भी शास्त्रार्थ में हरा दिया।


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