सार

Ram Mandir Ayodhya: इस बार राम नवमी का पर्व 6 अप्रैल, रविवार को मनाया जाएगा। इस दिन अयोध्या के राम मंदिर में विज्ञान का एक चमत्कार देखने को मिलेगा क्योंकि इस दिन राम लला के मस्तक पर भगवान सूर्य तिलक करेंगे।

 

Ram Navmi 2025: साल 2024 में अयोध्या राम मंदिर में राम नवमी के मौके पर पहली बार रामलला का सूर्य तिलक किया गया था। इस बार राम नवमी के मौके पर यानी 6 अप्रैल, रविवार को भी राम मंदिर में ऐसा ही नजारा देखने को मिलेगा। इस दिन एक तक समय पर लगभग 4 मिनिट के लिए सूर्यदेव की किरणें रामलला की प्रतिमा के मस्तक पर पड़ेंगी, जिससे एक अद्भुत दृश्य देखने को मिलेगा। आगे जानें क्या है सूर्य तिलक, ये किसने डिजाइन किया है? इससे जुड़ी हर बात जो आप जानना चाहते हैं…

क्या है सूर्य तिलक, किसने तैयार किया इसका डिजाइन?

राम नवमी पर कुछ देर के लिए सूर्य की किरणों को एक खास सिस्टम से परावर्तित करके रामलला की प्रतिमा के मस्तक पर प्रतिबिंबित किया जाएगा। इसे ही सूर्य तिलक का नाम दिया गया है। सूर्य तिलक के लिए IIT रुड़की सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट ने ऑप्टो मैकेनिकल सिस्टम तैयार किया है। इस सिस्टम के जरिए सूर्य की किरणें करीब 4 मिनट तक रामलला के मस्तक को प्रकाशित करेंगी।

किन चीजों का होगा उपयोग, कितनी लागत?

सूर्य तिलक के लिए अष्टधातु के 20 पाइप से 65 फीट लंबा सिस्टम तैयार किया गया है। इसमें 4 लेंस, 4 मिरर, पीतल के पाइप और 19 गियर के जरिए गर्भ गृह तक रामलला के मस्तक पर किरणें पहुंचाई जाएगी। सूर्य तिलक के लिए जितनी भी चीजों का उपयोग हुआ है, उसकी कुल लागत लगभग 1 से डेढ़ करोड़ रुपए है। मंदिर समिति के अनुसार, इस बार सूर्य तिलक के लिए ऐसी डिजाइन तैयार की गई है, जिससे लगातार 20 सालों तक रोज रामलला का सूर्य तिलक हो सके।

रामलला के मस्तक पर सूर्य तिलक ही क्यों?

धर्म ग्रंथों के अनुसार, भगवान श्रीराम का जन्म सूर्यवंश में हुआ था, जिसके चलते इस वंश के लोग सूर्यदेव की पूजा मुख्य रूप से करते थे। सूर्यवंशी राजा के ध्वज पर भी सूर्य का ही चिह्न होता था। सूर्यदेव की स्तुति के बाद ही श्रीराम ने राक्षसराज रावण का वध किया था।