सार

Chitragupta Puja 2022: दीपोत्सव के अंतर्गत कई देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। भगवान चित्रगुप्त भी इनमें से एक है। इनकी पूजा भाई दूज पर करने की परंपरा है। चित्रगुप्त यमराज के सहायक हैं जो हर व्यक्ति के अच्छे-बुरे कर्मों का हिसाब रखते हैं।
 

उज्जैन. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितिया तिथि को भगवान चित्रगुप्त (Chitragupta Puja 2022) की पूजा का विधान है। इस बार पूजा 27 अक्टूबर को की जाएगी। लोग अपनी-अपनी परंपरा के अनुसार दोनों दिन पूजा कर सकते हैं। भगवान चित्रगुप्त यमराज के सहायक हैं जो मनुष्य के अच्छे-बुरे कर्मों का हिसाब रखते हैं और उसी के अनुसार यमराज मृतात्माओं को दंड देते हैं। आगे जानिए चित्रगुप्त भगवान की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त व अन्य खास बातें…

ये है चित्रगुप्त पूजा का शुभ मुहूर्त (Chitragupta Puja 2022 Shubh Muhurat) 
पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितिया तिथि 26 अक्टूबर, बुधवार की दोपहर 02:42 से 27 अक्टूबर की दोपहर 12:45 तक रहेगी। चूंकि द्वितिया तिथि दो दिन रहेगी, इसलिए अपनी कुल की परंपरा के अनुसार दोनों दिन पूजा की जा सकती है। हालांकि अधिकांश लोग 27 अक्टूबर को ही ये पूजा करेंगे।

इस विधि से करें भगवान चित्रगुप्त की पूजा (Chitragupta Puja Vidhi)
पूजा से पहले स्नान आदि करके शुद्ध हो जाएं और एक पटिए (चौकी) पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान चित्रगुप्त की तस्वीर रखें। इसके बाद हार पहनाकर चावल, कुमकुम, सिन्दूर, फूल, धूप-दीप और मिष्ठान चढ़ाएं। एक नया पेन भी भगवान चित्रगुप्त के सामने रखें। इसकी भी पूजा करें। सफेद कागज पर श्री गणेशाय नम: और 11 बार ओम चित्रगुप्ताय नमः लिखे। सबसे आखिर में भगवान चित्रगुप्त की आरती करें। पूजा के फल स्वरुप नरक की यातनाओं से मुक्ति मिलती है तथा सभी पाप नष्ट होते हैं। साहस, शौर्य, बल और ज्ञान की प्राप्ति होती है।

इस तरह रखते हैं चित्रगुप्त मनुष्यों के अच्छे-बुरे कर्मों का हिसाब
गरुड़ पुराण में बताया गया है कि हर मनुष्य के आस-पास श्रवण नामक गण रहते हैं, जो किसी को दिखाई नहीं देते। ये ही मनुष्य के अच्छे-बुरे कर्मों को देखते हैं। जब यमदूत किसी आत्मा को यमलोक लाते हैं तो वे पहले द्वारपाल को सूचना देते हैं। द्वारपाल चित्रगुप्त को बताते हैं और चित्रगुप्त जाकर यमराज को कहते हैं। तब यमराज चित्रगुप्त से उस पापात्मा के अच्छे-बुरे कर्मों का हिसाब पूछते हैं और उसी के अनुसार, यमराज उसे दंड देते हैं। व्रत, दान, सच बोलने से कोई भी व्यक्ति यमराज और चित्रगुप्त को प्रसन्न कर सकता है।


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