सार
Sankashti Chaturthi August 2022: आज (15 अगस्त, सोमवार) संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाएगा। ये व्रत हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को किया जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से हर तरह की परेशानी दूर हो सकती है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि भी बनी रहती है।
उज्जैन. 15 अगस्त को भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि है। इसे संकष्टी (Sankashti Chaturthi August 2022) और हेरंब चतुर्थी (Heramb Chaturthi August 2022) के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान श्रीगणेश की पूजा विशेष रूप से की जाती है। ये चतुर्थी साल भर में आने वाली 4 प्रमुख चतुर्थी में से एक है। इस दिन महिलाएं दिन भर निराहार यानी बिना कुछ खाए-पिए रहती हैं और शाम को पहले भगवान श्रीगणेश की पूजा करती हैं, इसके बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर ये व्रत पूर्ण करती हैं। आगे जानिए संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त व अन्य खास बातें…
संकष्टी चतुर्थी के शुभ मुहूर्त व योग (Sankashti Chaturthi August 2022 Shubh Muhurat)
ज्योतिषियों के अनुसार, 15 अगस्त, सोमवार को गद और धृति नाम के शुभ योग के साथ-साथ गजकेसरी नाम का राजयोग भी रहेगा। इस दिन अभिजित मुहूर्त दोपहर 11.59 से दोपहर12.52 तक, धृति योग सुबह से लेकर रात 11.24 तक रहेगा। रात को चंद्रोदय लगभग 09.27 मिनट पर होगा। चंद्रमा के दर्शन कर अर्घ्य देने के बाद ही ये व्रत पूर्ण होता है।
इस विधि से करें संकष्टी चतुर्थी का व्रत (Sankashti Chaturthi August 2022 Puja Vidhi)
15 अगस्त की व्रत-पूजा का संकल्प लें। इसके बाद चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर भगवान श्रीगणेश का चित्र या मूर्ति स्थापित करें। पहले शुद्ध घी का दीपक जलाएं श्रीगणेश के सामने रखें। फिर श्रीगणेश को कुंकुम से तिलक लगाएं, फूल माला पहनाएं और अन्य पूजन सामग्री एक-एक कर चढ़ाते रहें। इसके बाद दूर्वा पर हल्दी लगाकर श्रीगणेश को चढ़ाएं। अंत में लड्डू का भोग लगाकर आरती करें। रात को चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपना व्रत पूर्ण करें।
ये उपाय करें (Sankashti Chaturthi August 2022 Ke Upay)
1. भगवान श्रीगणेश को साबूत हल्दी की माला बनाकर पहनाएं। इससे शीघ्र विवाह के योग बन सकते हैं।
2. गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करें। इससे घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
3. कर्ज मुक्ति के लिए ऋणहर्ता गणेश स्तोत का पाठ करें।
4. भगवान श्रीगणेश को केलों का भोग लगाएं और बाद में इसे गरीबों को बांट दें।
5. किसी योग्य ब्राह्मण को वस्त्रों का दान करें।