सार
Skanda Shashti 2022: धर्म ग्रंथों में भगवान शिव के दो पुत्रों के बारे में बताया गय है, ये हैं कार्तिकेय और श्रीगणेश। कार्तिकेय को स्कंद के नाम से भी जाना जाता है। इनकी पूजा पौष शुक्ल षष्ठी तिथि पर विशेष रूप से की जाती है।
उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार, पौष मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी (Skanda Sashti 2022) का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 28 दिसंबर, बुधावार को है। इस पर्व को दक्षिण भारत में बड़े स्तर पर मनाया जाता है। भगवान स्कंद के मंदिरों में विशेष आयोजन किए जाते हैं, यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है। इस दौरान पूजा आदि भी विशेष रूप से की जाती है। भगवान स्कन्द को मुरुगन, कार्तिकेयन, सुब्रमण्यम स्वामी के नामों से भी जाना जाता है। मान्यता है कि स्कंद षष्ठी पर भगवान कार्तिकेय की पूजा से दुखों का अंत होता है।
ये शुभ योग बनेंगे स्कंद षष्ठी पर
पंचांग के अनुसार, पौष मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 27 दिसंबर, मंगलवार की रात 10:53 से शुरू होकर 28 दिसंबर, बुधवार की रात 08:44 तक रहेगी। षष्ठी तिथि का सूर्योदय 28 दिसंबर को होने से इसी दिन ये व्रत किया जाएगा। इस दिन सिद्धि, मानस और पद्म नाम के 3 शुभ योग होने से इस व्रत का महत्व और भी बढ़ गया है।
इस विधि से करें भगवान स्कंद की पूजा
- 28 दिसंबर की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। इसके बाद साफ वस्त्र पहनकर एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उसके ऊपर भगवान कार्तिकेय का चित्र या मूर्ति स्थापित करें।
- साथ ही शिव-पार्वती और गणेश जी की प्रतिमा भी स्थापित करें। भगवान कार्तिकेय के सामने पानी से भरा कलश रखें और सबसे पहले भगवान श्रीगणेश की वंदना करें। शुद्ध घी का दीपक जलाएं।
- इसके बाद सभी देवी-देवताओं को कुंकम का तिलक लगाएं और पुष्प माला अर्पित करें। इसके बाद भगवान कार्तिकेय को नए वस्त्र चढ़ाएं। इसके बाद अबीर, गुलाल, आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाते रहें।
- अंत में अपनी इच्छा अनुसार भगवान कार्तिकेय को भोग लगाएं और अपनी मनोकामना कहें। अंत में आरती करें। इस प्रकार भगवान कार्तिकेय की पूजा से हर तरह के संकट दूर हो सकते हैं।
भगवान कार्तिकेय की आरती
जय जय आरती वेणु गोपाला
वेणु गोपाला वेणु लोला
पाप विदुरा नवनीत चोरा
जय जय आरती वेंकटरमणा
वेंकटरमणा संकटहरणा
सीता राम राधे श्याम
जय जय आरती गौरी मनोहर
गौरी मनोहर भवानी शंकर
साम्ब सदाशिव उमा महेश्वर
जय जय आरती राज राजेश्वरि
राज राजेश्वरि त्रिपुरसुन्दरि
महा सरस्वती महा लक्ष्मी
महा काली महा लक्ष्मी
जय जय आरती आन्जनेय
आन्जनेय हनुमन्ता
जय जय आरति दत्तात्रेय
दत्तात्रेय त्रिमुर्ति अवतार
जय जय आरती सिद्धि विनायक
सिद्धि विनायक श्री गणेश
जय जय आरती सुब्रह्मण्य
सुब्रह्मण्य कार्तिकेय।
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