सीतामढ़ी (Bihar) । खेल और खिलाड़ियों (Players) को प्रोत्साहन देने को लेकर दावे किए जाते हैं। लेकिन, ये दावे कहां तक सच है यह तो आसानी से समझा जा सकता है। जी हां, सच जानने के लिए उदाहरण के तौर पर सीतामढ़ी (Sitamarhi) के कमलेश कुमार (Kamlesh Kumar) को देखा जा सकता है, जो खो-खो (Kho kho) के राष्ट्रीय खिलाड़ी हैं और बिहार का 8 बार नेतृत्व भी किए थे। मगर, आज गरीबी के कारण उन्हें नाई की दुकान चलाकर घर चलाने को मजबूर होना पड़ रहा है।