सार
गलवान घाटी हिंसा में शहीद जवान जय किशोर सिंह के पिता राजकपूर सिंह को गुरुवार को हाजीपुर व्यवहार न्यायालय की स्पेशल कोर्ट ने जमानत दे दी। पुलिस ने उनके खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया था।
वैशाली। गलवान घाटी हिंसा (Galwan Valley clash) में शहीद जवान जय किशोर सिंह (Martyr Jaikishore Singh) के पिता राजकपूर सिंह (Raj Kapoor Singh) को गुरुवार को हाजीपुर की एडीजे-3 नवीन कुमार ठाकुर की अदालत ने जमानत दे दी। पुलिस ने उनके खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया था। बुधवार को जमानत याचिका पर सुनवाई नहीं हो सकी थी। परिवार का आरोप है कि पुलिस ने सरकारी जमीन पर शहीद बेटे का स्मारक बनाने की वजह से राजकपूर सिंह के साथ अपराधियों जैसा सलूक किया, उन्हें घर से घसीटते हुए ले गए और मारपीट कर जेल में डाल दिया।
बुधवार को विधानसभा में भी इस मामले को लेकर जबर्दस्त हंगामा हुआ था। भाजपा विधायकों ने शहीद के पिता की गिरफ्तारी और पुलिस के अपमानजनक रवैये के खिलाफ विरोध दर्ज कराया था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defense Minister Rajnath Singh) ने सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) को फोन करके नाराजगी जतायी थी। उसके बाद पुलिस मुख्यालय एक्टिव हुआ और पूरे मामले की जांच के लिए विशेष सीआईडी टीम गठित की गई थी। सीआईडी टीम मौके पर जांच के लिए भी पहुंची थी।
क्या है मामला?
वैशाली जिले के जंदाहा थाने की पुलिस पर चकफतह गांव में रहने वाले गलवान हिंसा (Galvan martyr) में शहीद जवान जय किशोर सिंह के पिता राजकपूर सिंह के साथ बदसलूकी का आरोप है। जंदाहा थाना पुलिस बीत 25 फरवरी की रात 11 बजे राजकपूर सिंह को घर से घसीटते और गालियां देते हुए थाने ले गई और उनके साथ मारपीट कर जेल भेज दिया। उनके खिलाफ एससी/एसटी एक्ट के तहत एफआईआर भी दर्ज किया गया था।
जमीन को लेकर शुरु हुआ विवाद
दरअसल, यह पूरा विवाद शहीद जवान के स्मारक को लेकर शुरु हुआ। जिस जमीन पर स्मारक बना है। वह सरकारी जमीन है। उनके पड़ोसी हरिनाथ की जमीन भी स्मारक के पास है। उन्होंने शहीद के पिता पर जमीन कब्जा करने का आरोप लगाया था। उन्हीं की शिकायत पर एफआईआर दर्ज हुई थी। जिस पर पुलिस ने शहीद के पिता के खिलाफ कार्रवाई की। जानकारी के अनुसार, पुलिस ने रंगदारी मांगने समेत कई धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है, स्मारक पर प्रतिमा एक साल पहले लगी थी। इसको हटाने के लिए प्रशासन की तरफ से दबाव डाला जा रहा था, जबकि जमीन सरकारी है।