CG Horror: पति, सास और ससुर ने बहू को एक हफ्ते तक घर में बंद कर जलती सलाखों से दागा, खौलते पानी में डुबाया! दूसरी शादी की चाहत और दहेज के लालच ने रिश्तों को बनाया हैवान… कैसे बची जान? पढ़िए बलरामपुर की रोंगटे खड़े कर देने वाली दास्तान!
Chhattisgarh domestic violence news: छत्तीसगढ़ के शांत माने जाने वाले बलरामपुर ज़िले से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने रिश्तों की गरिमा, कानून की सीमाएं और इंसानियत की परिभाषा—all को झकझोर दिया है। यहां के शारदापुर गांव में एक महिला को उसके ही पति, सास और ससुर ने बर्बरता की सारी सीमाएं पार करते हुए—एक सप्ताह तक बंधक बनाकर गर्म सलाखों से दागा, उसके मुंह में कपड़ा ठूंसकर खौलते पानी में डुबोया और मानसिक व शारीरिक प्रताड़ना की हदें पार कर दीं।
“दूसरी शादी चाहिए थी…पहली पत्नी बोझ बन गई”
पीड़िता प्रियंका तिवारी की शादी 2016 में आकाश तिवारी से हुई थी। शुरुआती साल सामान्य रहे, लेकिन जल्द ही पति के व्यवहार में बदलाव आने लगा। पुलिस रिपोर्ट के अनुसार, आकाश का दूसरी महिला से अफेयर था और वह पहली पत्नी से पीछा छुड़ाना चाहता था। पर न तलाक हुआ, न दहेज लौटा। ऐसे में हैवानियत को "समाधान" बना लिया गया।
“हर दिन एक नई सज़ा-जलती सलाखें और खौलता पानी”
पीड़िता के अनुसार, पिछले एक हफ्ते से उसे कमरे में बंद कर रखा गया था।
- गर्म सलाखें शरीर पर दागी जाती थीं।
- खौलते पानी में डुबाकर उसे मारने की कोशिश की जाती।
- खाना और पानी रोक दिया गया था।
- सास और ससुर भी प्रताड़ना में बराबर के भागीदार थे।
- यह सब इसलिए किया जा रहा था ताकि वह खुद ही घर छोड़ दे या फिर मानसिक रूप से टूट जाए।
थाने तक कैसे पहुंची प्रियंका?
एक दिन, जब निगरानी थोड़ी ढीली पड़ी, प्रियंका किसी तरह जान बचाकर घर से भागी और सीधे त्रिकुंडा थाना पहुंची। उसने सास-ससुर और पति के खिलाफ विस्तृत शिकायत दर्ज कराई। पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर विशेष टीम गठित की गई और तुरंत कार्रवाई करते हुए तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया।
पुलिस की सख्ती और कानूनी कार्रवाई
एसडीओपी के मुताबिक़, महिला पर लंबे समय से घरेलू हिंसा और दहेज प्रताड़ना हो रही थी। आरोपी पति आकाश तिवारी और उसके माता-पिता पर धारा 498A, 307, 34 और दहेज निषेध अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया है। तीनों को कोर्ट में पेश कर न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया है।
“घरों की चुप्पी, बहुओं की चीखें”-समाज के लिए चेतावनी
यह केस सिर्फ एक महिला की कहानी नहीं, बल्कि हर उस बहू की आवाज़ है जो वर्षों से चुप है। बलरामपुर की इस घटना ने ये साबित कर दिया कि अपराध अगर घर की चारदीवारी में पनपे, तो ज़रूरी है कि कानून वहाँ दरवाज़ा तोड़कर दाखिल हो।
