सार

छत्तीसगढ़ सरकार आगामी विधानसभा चुनाव से पहले युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देने की तैयारी में है। युवाओं को हर महीने 2,500 रुपये मासिक भत्ता दिए जाने की योजना तैयार की जा रही है। 2018 चुनाव के पहले कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में यह वादा भी किया था।

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार आगामी विधानसभा चुनाव से पहले युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देने की तैयारी में है। युवाओं को हर महीने 2,500 रुपये मासिक भत्ता दिए जाने की योजना तैयार की जा रही है। 2018 विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में यह वादा भी किया था। इस सिलसिले में सीएम भूपेश बघेल ने 26 जनवरी को घोषणा भी की थी। अब उसी घोषणा को अमली जामा पहनाने की तैयारी चल रही है।

कैबिनेट की बैठक में हो सकता है निर्णय

वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक, बेरोजगारी भत्ता की राशि 2,500 रुपये प्रतिमाह निर्धारित हो सकती है। आगामी 20 फरवरी को होने वाली कैबिनेट की बैठक में इस बिंदु पर भी चर्चा संभव है। एक समिति ने बेरोजगारी भत्ते के लिए यह राशि निर्धारित की है। एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि हालांकि बेरोजगारी भत्ते करी राशि कितनी होगी। इस पर सीएम भूपेश बघेल ही अंतिम निर्णय लेंगे।

लोक लुभावनी योजनाओं का खींचा जा सकता है खाका

विधानसभा चुनाव के पहले सरकार आम जन को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। बताया जा रहा है कि कैबिनेट की बैठक में लोक लुभावनी योजनाओं का भी खाका खींचा जा सकता है और उन्हें कैबिनेट से मंजूरी दिलायी जा सकती है। इसके अलावा आदिवासी उत्सवों के आयोजन के लिए बस्तर, सरगुजा संभाग के हर ग्राम पंचायत को रकम दिए जाने का भी निर्णय लिया जा सकता है।

सरकार का दावा-बेरोजगारी दर में आयी कमी

छत्तीसगढ सरकार ने सितम्बर 2022 में दावा किया था कि राज्य की बेरोजगारी दर में कमी आयी है। सरकारी दावों के मुताबिक, अगस्त 2022 में बेरोजगारी दर 0.4 फीसदी पर आ गई, जबकि 2021 में इसी अवधि के दौरान बेरोजगारी दर 8.3 फीसदी तक थी। राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि यदि बेरोजगारी भत्ता दिया जाता है तो इसका असर राज्य की अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक पड़ेगा।

भाजपा आंकड़ों को करार रही झूठा

उधर भाजपा, सरकार के आंकड़ों को झूठा करार रही है। मुख्य प्रवक्ता अजय चंद्राकर का कहना है कि आंकड़ों के अनुसार, राज्य में सभी को रोजगार प्राप्त है, जो सही नहीं है। सरकार, युवाओं का मजाक नहीं उड़ाए। इधर कांग्रेस का दावा है कि बीजेपी को आंकड़ों के बारे में जानकारी नहीं है।