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Delhi Reorganization: 13 जिलों में बंटी राजधानी, आम लोगों की ज़िंदगी में क्या होगा असर?
Capital Re-Drawn: दिल्ली में बड़ा प्रशासनिक बदलाव हुआ है। जिलों की संख्या 11 से बढ़कर 13 कर दी गई है। सरकार ने प्रॉपर्टी और डॉक्यूमेंट रजिस्ट्रेशन को सुचारू रखने के लिए अंतरिम SRO मैपिंग जारी की है, इसके पीछे की पूरी कहानी अब सामने आ रही है।

दिल्ली के प्रशासनिक नक्शे में हुआ बड़ा बदलाव-क्या है वजह?
Delhi New Districts 2025: दिल्ली में एक बड़ा प्रशासनिक बदलाव किया गया है, जिसने राजधानी के नक्शे को ही बदल दिया है। दिल्ली सरकार ने जिलों की संख्या 11 से बढ़ाकर 13 कर दी है। इस फैसले का सीधा असर आम लोगों की रोज़मर्रा की सरकारी सेवाओं पर पड़ने वाला है, खासकर प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन, जमीन के कागज़ात और डॉक्यूमेंट रजिस्ट्रेशन जैसे कामों पर। सवाल यही है—क्या यह बदलाव लोगों के लिए राहत बनेगा या नई उलझन?
दिल्ली में जिलों की संख्या अचानक क्यों बढ़ाई गई?
दिल्ली सरकार का कहना है कि शहर लगातार बढ़ रहा है और आबादी के साथ-साथ प्रशासनिक दबाव भी बढ़ा है। ऐसे में पुराने 11 जिले कई इलाकों को संभालने में पर्याप्त नहीं रह गए थे। नए जिले बनाकर सरकार चाहती है कि प्रशासन ज़्यादा तेज़, नज़दीकी और प्रभावी हो।
अब दिल्ली में कौन-कौन से 13 जिले हैं?
नए पुनर्गठन के बाद दिल्ली के 13 जिले इस प्रकार हैं-दक्षिण पूर्व, पुरानी दिल्ली, उत्तर, नई दिल्ली, मध्य, मध्य उत्तर, दक्षिण पश्चिम, बाहरी उत्तर, उत्तर पश्चिम, उत्तर पूर्व, पूर्वी दिल्ली, दक्षिण दिल्ली और पश्चिमी दिल्ली। इन नए जिलों से प्रशासनिक कामों का बंटवारा बेहतर तरीके से किया जाएगा।
क्या प्रॉपर्टी और डॉक्यूमेंट रजिस्ट्रेशन पर असर पड़ेगा?
सबसे बड़ा सवाल यही है। जिलों की सीमाएं बदलने से लोगों में यह भ्रम हो सकता था कि अब उन्हें किस सब-रजिस्ट्रार ऑफिस (SRO) जाना है। इसी को ध्यान में रखते हुए दिल्ली सरकार ने एक अंतरिम SRO मैपिंग जारी की है, ताकि किसी भी नागरिक को परेशानी न हो।
दिल्ली में प्रशासनिक सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। अब राजधानी में 13 जिले होंगे।
हर जिले में आधुनिक मिनी सचिवालय होंगे, जहां सभी प्रशासनिक सेवाएं सिंगल विंडो सिस्टम के तहत एक ही परिसर में उपलब्ध रहेंगी।
यह पहल सेवाओं को सरल बनाएगी, निर्णय प्रक्रिया को तेज़… pic.twitter.com/oc10PcZC3C— CMO Delhi (@CMODelhi) December 23, 2025
SRO मैपिंग क्या है और क्यों ज़रूरी है?
SRO मैपिंग का मतलब है-कौन-सा इलाका फिलहाल किस सब-रजिस्ट्रार ऑफिस के अंतर्गत रहेगा। सरकार ने साफ किया है कि जब तक नई व्यवस्था पूरी तरह लागू नहीं हो जाती, तब तक लोग उसी SRO में रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं, जहां वे पहले जाते थे।
क्या यह व्यवस्था स्थायी है या आगे फिर बदलाव होंगे?
यह व्यवस्था पूरी तरह अस्थायी है। कैबिनेट पहले ही मंज़ूरी दे चुकी है कि दिल्ली में SRO की संख्या 22 से बढ़ाकर 39 की जाएगी। आने वाले समय में हर जिले में ज़्यादा रजिस्ट्रेशन ऑफिस होंगे, जिससे भीड़ कम होगी और काम जल्दी होगा।
आम लोगों को अभी क्या करना चाहिए?
फिलहाल नागरिकों को घबराने की कोई ज़रूरत नहीं है। सरकार की सलाह है कि लोग अंतरिम मैपिंग के अनुसार ही अपने पुराने SRO का इस्तेमाल करते रहें। जब नई व्यवस्था पूरी तरह लागू होगी, तब इसकी अलग से जानकारी दी जाएगी। जानकारों की मानें तो यह सिर्फ जिलों का पुनर्गठन नहीं है, बल्कि दिल्ली को भविष्य के लिए तैयार करने की एक बड़ी योजना का हिस्सा है। ज्यादा जिले, ज्यादा ऑफिस और बेहतर सर्विस—यही सरकार का लक्ष्य है।
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