सार

हरियाणा के चरखी दादरी में हैरान कर देने वाला मामला सामने आया। जहां बुजुर्ग पास करोड़ों की जायदाद थी पोता जिनका आईएएस अफसर उनको परिवार द्वारा इतना सताया गया कि आहत होकर बुजुर्ग दंपती ने सुसाइड कर लिया। आत्महत्या से पहले सुसाइड नोट लिख बयां किया दर्द।

चरखी दादरी (charkhi dadri news). हरियाणा के चरखी दादरी से दिल झकझोर देने वाली खबर सामने आई है। यहां एक बुजुर्ग दंपती को उसके ही परिवार ने इतना सताया कि उन्होंने अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। इसमें हैरानी वाली बात यह रही की वे खुद करोड़ो की संपति के मालिक थे जिसका पोता आईएएस अफसर है, ऐसे दादा-दादी दाने दाने को मोहताज हो गए। यातना सहते सहते इतना टूटे की सुसाइड कर लिया। हालांकि उन्होंने आत्महत्या से पहले सुसाइड नोट पुलिस को सौंप दिया है। सुसाइड नोट के आधार पर पुलिस ने घर के 4 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। बाढड़ा पुलिस मामले की जांच कर रही है। मृतको की पहचान जगदीश चंद्र आर्य और भागली देवी के रूप में हुई।

परिवार की यातना से परेशान हो खाया जहर

दरअसल गोपी गांव के रहने वाले जगदीश और उनकी पत्नी भागली अपनी वृद्धावस्था और बीमारी के चलते बाढड़ा स्थित शिव कॉलोनी में रहने वाले अपने बेटे वीरेंद्र आर्य के पास रह रहे थे। वीरेंद्र का बेटा 2021 में आईएएस की परीक्षा पास कर फिलहाल अंडर ट्रेनी है। वहीं रहने वाले बुजुर्ग दंपती ने बुधवार की रात दोनों ने जहर खा लिया। इसकी जानकारी घरवालों के पता चली तो पुलिस को बुला लिया गया। दंपती ने अपने द्वारा लिखा सुसाइड नोट पुलिस को सौंप दिया। इसके बाद उनकी हालत ज्यादा ही खराब होने लगी जहां से उनको हॉस्पिटल ले जाया गया पर उनकी जान नहीं बचाई जा सकी। दोनों ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।

सुसाइड नोट में लिखी अपनी दुखभरी दास्तां

बुजुर्ग ने लिखा- मैं जगदीश चंद्र आर्य आपको अपना दुख सुनाता हूं. मेरे बेटे के पास बाढ़ड़ा में 30 करोड़ की संपत्ति है, लेकिन उसके पास मुझे देने के लिए दो रोटी नहीं हैं. मैं अपने छोटे बेटे के पास रहता था। 6 साल पहले उसकी मौत होने के बाद कुछ समय तक उसकी पत्नी ने खाना दिया लेकिन फिर मेरे भतीजे के साथ मिलकर कुछ गलत काम करने लगी. मैने इसका विरोध किया तो मुझे पीटकर घर से बाहर निकाल दिया। बेटे बहू होने के बाद भी अनाथ आश्रम में रहा।

घर लौटा से छीन लिया सब, दाने दाने को किया मोहताज

जगदीश ने बताया कि वहां से अपने घर आया तो उन्होंने मुझे वहां से निकाल कर ताला लगा दिया। इसी दौरान मेरी पत्नी लकवे का शिकार हो गई। हम अपने दूसरे बेटे वीरेंद्र के पास आकर रहने लगे। कुछ दिन बाद उन्होंने भी हमे रखने से मना कर दिया। बासी रोटिया देने लगे। मैं कब तक ऐसा मीठा जहर कब तक खाता इसलिए सल्फास की गोली खा ली। मेरी मौत का कारण मेरी दो पुत्रवधू, एक बेटा और एक भतीजा है। जितने जुल्म इन्होंने किए है कोई भी संतान अपने माता पिता पर ना करे। बुजुर्ग ने नीलम, विकास, सुनीता और विरेंद्र के नाम लिखे है।

पीड़ित ने अपने नाम जो भी संपत्ति बची है उसे उन्होंने आर्य समाज में देने की बात भी कही है। साथ ही सरकार से न्याय की गुहार की है। इस सुसाइड नोट के आधार पर पुलिस ने 4 नामजद लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है।

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