सरदार पटेल की 150वीं जयंती पर करमसद से शुरू हुई ‘सरदार@150’ एकता पदयात्रा 11 दिनों बाद स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर समाप्त हुई। उपराष्ट्रपति, CM और केंद्रीय मंत्रियों ने इसे एकता, राष्ट्रभक्ति और आत्मनिर्भर भारत का संदेश देने वाली ऐतिहासिक यात्रा बताया।
गांधीनगर। लौह पुरुष और देश के प्रथम गृह मंत्री भारत रत्न सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती पर स्मरणांजलि देने के लिए करमसद से शुरू हुई ‘सरदार@150’ राष्ट्रीय एकता पदयात्रा का समापन शनिवार को एकता नगर में ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ परिसर में हुआ। 11 दिनों तक चली यह पदयात्रा पूरे क्षेत्र में एकता, राष्ट्रभक्ति और सरदार पटेल के मूल्यों का संदेश फैलाती रही।
समापन समारोह में उपस्थित उपराष्ट्रपति श्री सी.पी. राधाकृष्णन ने इस पदयात्रा को “भारत की अमर आत्मा का उत्सव” बताया। उन्होंने कहा कि यह पदयात्रा देश के जन-मन को जोड़ने का माध्यम बनी है और इसमें एकता, कर्तव्य और राष्ट्र निर्माण के भाव स्पष्ट दिखे।
सरदार पटेल की विरासत और भारत के एकीकरण में उनका योगदान
उपराष्ट्रपति ने कहा कि सरदार पटेल एक महान राष्ट्रीय नायक थे, जिन्होंने नेतृत्व की ताकत से 560 से अधिक रियासतों को एकजुट किया। भारत को एक अखंड राष्ट्र के रूप में स्थापित करने में उनका योगदान अविस्मरणीय है। उन्होंने बताया कि देशभर में आयोजित 1300 से अधिक पदयात्राओं में 14 लाख से ज्यादा युवाओं की भागीदारी इस बात का प्रमाण है कि सरदार पटेल द्वारा जगाई गई एकता की ज्योति आज भी उतनी ही प्रबल है।
एक भारत, श्रेष्ठ भारत का संदेश पूरे देश में फैला
उपराष्ट्रपति ने बताया कि यह पदयात्रा पूरे देश में एकता, भाईचारे और आत्मनिर्भर भारत का संदेश लेकर पहुंची। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल ने अपने सादगीपूर्ण जीवन से संदेश दिया था कि “एग्रीकल्चर इज अवर कल्चर”- यानी कृषि ही भारतीय संस्कृति का मूल है। उनके प्रयासों ने भारत को एक मजबूत और एकीकृत राष्ट्र बनाया।
गुजरात-अहिंसा, एकता और विकास का प्रतीक
उन्होंने कहा कि गुजरात वही भूमि है जहां महात्मा गांधी ने दुनिया को अहिंसा का मार्ग दिखाया, सरदार पटेल ने देश को एकता के सूत्र में पिरोया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विकास को राष्ट्रीय आंदोलन का स्वरूप दिया। उनका कहना था कि “केम छो?” का जवाब “मजा मां!” पूरे देश में मिलने का भाव गुजरात की प्रगतिशील सोच और प्रधानमंत्री के नेतृत्व का प्रतिबिंब है।
भारत की प्रगति, नए कानून और महिलाओं की भागीदारी
उपराष्ट्रपति ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में भारत ने आर्थिक, सामाजिक, सैन्य और विदेश नीति जैसे क्षेत्रों में ऐतिहासिक प्रगति की है।
- नारी शक्ति वंदन कानून ने महिलाओं को नेतृत्व की मुख्यधारा में लाकर नए युग की शुरुआत की है।
- केंद्र सरकार द्वारा लागू चार नई श्रम संहिताएं श्रमिक वर्ग को सम्मान, समानता और सुरक्षा प्रदान करेंगी।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरदार पटेल का “मजबूत और आत्मनिर्भर भारत” का सपना तेजी से साकार हो रहा है।
युवा शक्ति को राष्ट्र निर्माण की दिशा में प्रेरित किया गया
उपराष्ट्रपति ने युवाओं को नशे से दूर रहने, खेल और सामाजिक जिम्मेदारी को अपनाने तथा संस्कारपूर्ण व्यवहार के साथ अपनी ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में लगाने का संदेश दिया। उन्होंने युवाओं से ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना के साथ आगे बढ़ने का आह्वान किया।
बारडोली सत्याग्रह और सरदार का नेतृत्व- राज्यपाल का संबोधन
राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि बारडोली सत्याग्रह ने सरदार पटेल को एक मजबूत जननेता के रूप में स्थापित किया। अंग्रेजों द्वारा लगान वृद्धि के खिलाफ उन्होंने किसानों को संगठित किया और सत्याग्रह का नेतृत्व किया। इसी आंदोलन की सफलता के बाद उन्हें ‘सरदार’ की उपाधि मिली। उन्होंने कहा कि एकता नगर में स्थापित दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी सरदार की एकता और अखंडता की सोच को दुनिया के सामने प्रस्तुत करती है।
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल का संबोधन- 2015 की तीन ऐतिहासिक वर्षगांठें
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरदार पटेल की 150वीं जयंती का वर्ष देश के लिए गौरवमयी है। यह वर्ष- राष्ट्रगीत वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ भगवान बिरसा मुंडा जी की 150वीं जयंती और सरदार साहब की विचारधारा के वैश्विक प्रसार का भी प्रतीक है। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 का निरस्तीकरण “एक देश, एक विधान, एक प्रधान” की सोच को साकार करने वाला कदम है। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी भी राष्ट्र की कृतज्ञता का प्रतीक है।
युवाओं की ऊर्जा, स्वच्छता और पर्यावरण संदेश भी बने यात्रा का हिस्सा
मुख्यमंत्री ने कहा कि युवा शक्ति इस यूनिटी मार्च की आधारशिला है। पदयात्रा में युवाओं ने स्वच्छता, “एक पेड़ मां के नाम” और राष्ट्रभक्ति जैसे मूल्यों को संदेश के रूप में अपनाया। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि सरदार पटेल के ‘राष्ट्र प्रथम’ सिद्धांत को जीवन में उतारें और ‘विकसित भारत@2047’ के संकल्प की दिशा में काम करें।
केंद्रीय मंत्री मनसुखभाई मांडविया- “यह पदयात्रा विचार की यात्रा बनी”
केंद्रीय मंत्री डॉ. मनसुखभाई मांडविया ने बताया कि करमसद से एकता नगर तक 150 किमी की इस पदयात्रा में उन्होंने स्वयं 4 दिन तक हिस्सा लिया। देशभर के हजारों युवाओं, महिलाओं और विशेष रूप से किसानों ने यात्रा में कदम से कदम मिलाया। किसानों ने अपने खेतों से केले, अमरूद और ताजे फल पदयात्रियों को भेंट कर स्वागत किया। रास्ते में प्राकृतिक खेती का प्रदर्शन भी किया, जिससे आत्मनिर्भर भारत का संदेश फैला।
देशभर से मिली सहभागिता और समापन अवसर की शपथ
समारोह में सभी उपस्थित लोगों ने स्वदेशी अपनाने और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की शपथ ली।
‘सरदार@150’ राष्ट्रीय एकता पदयात्रा 26 नवंबर को करमसद से शुरू हुई और 11 दिनों में आणंद, वडोदरा, नर्मदा जिले के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों से गुजरते हुए 6 दिसंबर को स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पहुंची। हजारों युवाओं, स्वयंसेवकों, जनप्रतिनिधियों और स्थानीय नागरिकों ने एकता का संदेश जन-जन तक पहुंचाया।
कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह, राज्य मंत्री रक्षा खडसे, तोखन साहू, स्वराज आश्रम-बारडोली की ट्रस्टी निरंजनाबेन कलार्थी, वरिष्ठ सांसद, विधायक, जिला प्रशासन और बड़ी संख्या में नागरिक उपस्थित रहे।
