सार

झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के मंत्रिमंडल विस्तार में देरी का कारण गठबंधन के दलों के बीच मंत्री पदों का बंटवारा बताया जा रहा है। जानिए इस खींचतान और संभावित हल के बारे में।

रांची। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झारखंड में नई सरकार बनने के बाद भी मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर गतिरोध बना हुआ है। 28 नवंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद से अब तक मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हो सका है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि इसका मुख्य कारण तीन बड़ी पार्टियों के बीच मंत्री पदों का जटिल बंटवारा है।

मंत्री पदों का गणित

झारखंड में 81 सीटों वाली विधानसभा में महागठबंधन को 56 सीटों का बड़ा बहुमत मिला है। हालांकि सरकार में मुख्यमंत्री समेत अधिकतम 12 मंत्री बनाए जा सकते हैं। पिछली बार हर 4 सीटों पर एक मंत्री का फॉर्मूला अपनाया गया था। जिसमें कांग्रेस को 4 मंत्री झामुमो को 7 मंत्री (मुख्यमंत्री पद सहित) और राजद को 1 मंत्री पद मिला था। इस बार झामुमो ने 34 सीटों के साथ कांग्रेस (16 सीटें) और राजद (4 सीटें) से बेहतर प्रदर्शन किया है। सूत्रों के अनुसार झामुमो चाहता है कि एक मंत्री पद के लिए 5 सीटों का नया नियम लागू हो, जिससे कांग्रेस के मंत्री पद घट सकते हैं।

राजद ने भी बढ़ाई अपनी डिमांड

राजद, जिसे पिछली बार एक मंत्री पद मिला था, ने इस बार 4 सीटों के साथ दो मंत्री पदों की मांग की है, क्योकि तेजस्वी यादव की पार्टी ने पिछली बार सिर्फ एक सीट जीती थी। इकलौते विधायक को मंत्री पद मिला था, इसलिए उन्होंने इस बार दो मंत्री पद मांगे हैं। जिससे झामुमो सुप्रीमों के सामने असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई है। 

भाजपा का निशाना

महाराष्ट्र जैसे गठबंधन सरकारों पर कटाक्ष करने वाली भाजपा ने झारखंड की स्थिति को निशाने पर लेते हुए कहा कि महागठबंधन सरकार में मंत्री पदों के लिए खींचतान हो रही है। इसके इतर कांग्रेस की विधायक प्रतिमा दास ने विवाद को कम आंकते हुए कहा, "सरकार बन गई है। अब मंत्रिमंडल का विस्तार भी हो जाएगा। यह हर जगह सामान्य प्रक्रिया है।"

हेमंत सरकार के सामने संभावनाएं और चुनौतियां

हेमंत सोरेन सरकार के सामने गठबंधन के भीतर सामंजस्य बनाए रखना और सत्ता संतुलन सुनिश्चित करना बड़ी चुनौती है। झारखंड में यह मुद्दा राजनीतिक चर्चा का केंद्र बना हुआ है। अब सवाल ये उठ रहा है कि क्या इस बार झारखंड सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार समय पर होगा? या गठबंधन की खींचतान इसे और लंबा खींचेगी?