Jharkhand के ‘गुरुजी’: कैसे Shibu Soren बने आदिवासी राजनीति की सबसे बड़ी पहचान?
Shibu Soren Achievements And Downfall: झारखंड आंदोलन के जननायक, 'दिशोम गुरु' शिबू सोरेन का जीवन सत्ता, संघर्ष और हत्या के आरोपों से लेकर केंद्रीय मंत्री पद तक के सफर से भरा था। क्या इस रहस्यमयी नेता की विरासत अब भी जीवित रहेगी?

Tribal Titan Shibu Soren: सत्ता, संघर्ष और विवादों से भरा राजनीतिक सफर
झारखंड राज्य के निर्माण में केंद्रीय भूमिका निभाने वाले आदिवासी नेता शिबू सोरेन का निधन एक युग का अंत है। ‘दिशोम गुरु’ के नाम से प्रसिद्ध यह नेता न सिर्फ झामुमो (JMM) के संस्थापक थे, बल्कि आदिवासी राजनीति को राष्ट्रीय पहचान दिलाने वाले एक मजबूत स्तंभ भी थे।
शिबू सोरेन: झारखंड मुक्ति मोर्चा की नींव और आंदोलन की आग
1973 में धनबाद के गोल्फ ग्राउंड में ए.के. रॉय और बिनोद बिहारी महतो के साथ मिलकर उन्होंने झामुमो की स्थापना की। छोटानागपुर और संथाल परगना के आदिवासियों की आवाज़ बनने वाला यह संगठन जल्द ही एक राज्य की मांग का प्रतीक बन गया।
पिता की हत्या ने क्यों बदला जीवन का रास्ता?
शिबू सोरेन के जीवन का मोड़ तब आया जब 1957 में साहूकारों ने उनके पिता की हत्या कर दी। 15 वर्षीय शिबू के मन में अन्याय के खिलाफ गुस्सा और संघर्ष की भावना जन्मी-यही उनकी राजनीति की शुरुआत थी।
तीन बार मुख्यमंत्री लेकिन कभी स्थायी शासन क्यों नहीं?
उन्होंने तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन हर बार गठबंधन सरकारों के कारण उनका कार्यकाल छोटा रहा। क्या यह उनकी नेतृत्व क्षमता की कमजोरी थी या राज्य की जटिल राजनीति?
हत्या और अपहरण के आरोप, क्या था सच?
शिबू सोरेन पर चिरुडीह हत्याकांड (1975) और शशिनाथ झा हत्याकांड (1994) जैसे गंभीर आरोप लगे। उन्होंने कुछ समय हिरासत में बिताया, लेकिन बाद में अदालत ने उन्हें बरी कर दिया। इन विवादों ने उनके राजनीतिक जीवन की छवि को दोधारी बना दिया।
2007 का हमला: जब बाल-बाल बचे 'दिशोम गुरु'
गिरिडीह से पेशी के बाद लौटते समय देवघर जिले में उनके काफिले पर बम फेंका गया। यह हमला उन्हें खत्म करने की एक साजिश थी, लेकिन वह बच निकले और आदिवासी नेता के रूप में और मजबूत हुए।
क्या हेमंत सोरेन संभाल पाएंगे विरासत की कमान?
झारखंड के मौजूदा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। पर क्या वह ‘दिशोम गुरु’ की करिश्माई अपील को कायम रख पाएंगे?