उज्जैन के विक्रम नगर में खुदाई के दौरान घायल हुए कोबरा की 2 घंटे तक सर्जरी कर 80 टांके लगाए गए। डॉ. मुकेश जैन और टीम ने कोबरा की जान बचाई। फिलहाल उसकी हालत स्थिर है और पूरी तरह ठीक होने पर उसे जंगल में छोड़ा जाएगा।
उज्जैन। 'जाको राखे साइयां मार सके न कोय' ये कहावत मध्य प्रदेश के उज्जैन में उस वक्त चरितार्थ हो गई, जब कंस्ट्रक्शन के काम के दौरान घायल हुए एक कोबरा को दो घंटे की सर्जरी के बाद बचा लिया गया। इस सर्जरी में कोबरा को 80 टांके लगे। बता दें कि वाकया मंगलवार रात उज्जैन के विक्रम नगर इंडस्ट्रियल एरिया का है, जहां खुदाई का काम चल रहा था।
खुदाई के दौरान जेसीबी से घायल हुआ कोबरा
खुदाई के दौरान, JCB का हाइड्रोलिक लीवर गलती से एक कोबरा से टकरा गया, जिससे वह बुरी तरह घायल हो गया और खून बहने लगा। परेशान सांप साइट पर इधर-उधर घूमने लगा। उसकी स्किन फट चुकी थी और सिर पर गंभीर चोट लगी थी। आसपास के लोगों ने पहले तो डर के मारे सांप पर कीचड़ फेंका, लेकिन बाद में जाने-माने सर्पमित्र राहुल और मुकुल को बुलवाया गया।
कोबरा के सिर और पीठ पर थी गहरी चोट
स्नेक रेस्क्यूअर मौके पर पहुंचे और घायल कोबरा को सुरक्षित बचाया और तत्काल उसे उदयन मार्ग पर स्थित जानवरों के हॉस्पिटल ले गए। अस्पताल में चीफ वेटेरनरी सर्जन डॉ. मुकेश जैन और उनकी टीम के सदस्यों ऑफिसर रामकन्या गौरव, रवि राठौर और प्रशांत परिहार ने पाया कि कोबरा के सिर और पीठ पर गहरी चोटें आई थीं और स्किन के कुछ हिस्से पूरी तरह से छिल गए थे। ऐसे में सांप को बड़ी सर्जरी की जरूरत थी। टीम ने हल्का एनेस्थीसिया देते हुए एक मुश्किल सर्जरी शुरू की।
2 घंटे तक चले ऑपरेशन में लगाने पड़े 80 टांके
करीब 2 घंटे तक चले ऑपरेशन के दौरान डॉक्टरों ने फटी हुई स्किन और मसल पर बेहद बारीकी से 80 टांके लगाए। बताया जा रहा है कि सांप की हालत अब स्थिर है और उसे अच्छी तरह देखभाल के लिए सर्पमित्रों को लौटा दिया गया। पूरी तरह ठीक होने के बाद उसे दोबारा जंगल में छोड़ दिया जाएगा। डॉ. जैन के मुताबिक, घायल सांप एलापिडे फैमिली का है, जिसमें कोबरा की कई प्रजातियां शामिल हैं।


