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- 1972 तक ओपन थी इंदौर की ये खूनी बावड़ी, 1983 के बाद ऐसा क्या हुआ कि लोग गिरकर मरते गए, क्यों फेल हुआ बुलडोजर?
1972 तक ओपन थी इंदौर की ये खूनी बावड़ी, 1983 के बाद ऐसा क्या हुआ कि लोग गिरकर मरते गए, क्यों फेल हुआ बुलडोजर?
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इंदौर. ये तस्वीरें रामनवमी पर इंदौर के बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर की बावड़ी पर रखे पत्थर टूटने से हुए भीषण हादसे की भयावहता को दिखाती हैं। रामनवमी की हर्षोल्लास के बीच मचे इस मातम को इंदौर के इतिहास की अब तक की ऐसी सबसे बड़ी त्रासदी कहा जा रहा है। इस भीषणतम हादसे में 36 लोगों की मौत हो गई। करीब 19 घंटे तक रेस्क्यू और सर्च ऑपरेशन जारी रहा। आखिरी शव सुनील सोलंकी नामक शख्स का निकाला गया। उसे ऊपर तक लाने में साढ़े पांच घंटे का समय लगा। वो बावड़ी की गाद में काफी गहराई तक धंसा हुआ था। शिवराज सिंह चौहान घायलों का हाल जानने एप्पल अस्पताल पहुंचे, तो उन्हें लोगों के आक्रोश का सामना करना पड़ा।
पुलिस कमिश्नर मकरंद देउस्कर के अनुसार ट्रस्ट के अध्यक्ष सेवाराम गलानी और सचिव के मुरलीकुमार सोमनानी के खिलाफ भादवि की धारा 304ए के तहत केस दर्ज किया है।
यहां के लोग बताते हैं कि 1972 में बावड़ी पूरी तरह से खुली हुई थी। लोग इसमें नहाते थे, फिर 1983 के आसपास इसे ढक दिया गया था।
इस मामले में प्रशासन की घोर लापरवाही सामने आई है। यहां के लोगों ने कई बार प्रशासन से शिकायत की। कर्मचारी अतिक्रमण हटाने बुलडोजर लेकर आए, लेकिन फिर लौट गए।
पटेल नगर रेजिडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष कांतिभाई पटेल का आरोप है कि प्रशासन को सूचना देने के बावजूद एंबुलेंस और रेस्क्यू टीम एक घंटे तक मौके पर नहीं पहुंची।
स्थानीय लोगों ने बताया कि करीब 24 घंटे तक चले बचाव अभियान के दौरान शव बाहर निकलते रहे।
इंदौर कमिश्नर (राजस्व) पवन कुमार शर्मा ने मीडिया से कहा कि बावड़ी को अब हमेशा के लिए मलबा डालकर बंद कर दिया जाएगा।
इस घटना से आक्रोशित लोगों ने आधे दिन इंदौर का बाजार बंद रखा। हादसे को लेकर निगम प्रशासन ने भवन अधिकारी आरपी अरोलिया व भवन निरीक्षक प्रभात तिवारी को सस्पेंड कर दिया है।
महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने निगम अमले को शहर के कुएं, बावड़ी और नदियों पर हुए अतिक्रमण को हटाने के निर्देश जारी किए हैं।
शिवराज सिंह चौहान ने घटना की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रदेशभर में जहां भी ऐसे कुएं-बावड़ी ढंककर रखे गए हैं, उनकी जांच शुरू कराने का आदेश दिया गया है।
इस घटना में जान गंवाने वालों का जब सामूहिक तौर पर अंतिम संस्कार किया गया, तब लोगों के आंसू रुक नहीं रहे थे।