17 Years Missing! मालेगांव ब्लास्ट केस में संदीप डांगे और रामचंद्र कलसांगरा अब भी NIA की मोस्ट वांटेड लिस्ट में हैं। 10 लाख का इनाम, सैकड़ों छापे-लेकिन न कोई सुराग, न संपर्क! क्या ये दोनों अब भी जिंदा हैं या सच को कोई छुपा रहा है?
Malegaon Blast Case: 2008 के मालेगांव बम विस्फोट को लेकर देश में आतंकवाद और सुरक्षा पर नई बहस छिड़ी है। इस बीच दो ऐसे नाम हैं जो 17 साल बाद भी सवालों के घेरे में हैं। पहला है संदीप डांगे और दूसरा रामचंद्र कलसांगरा उर्फ राम जी। दोनों पर 10-10 लाख रुपए का इनाम घोषित है। NIA की मोस्ट वांटेड लिस्ट में हैं, लेकिन अब तक न तो पकड़े गए और न उनकी लोकेशन सामने आई।
इंदौर से गायब हुए दो चेहरे, अब भी जिनकी तलाश
संदीप डांगे इंदौर के लोकमान्य नगर इलाके का रहने वाला था। उसने कंप्यूटर इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी। वहीं, रामचंद्र कलसांगरा भी इंदौर से था और उसका नाम भी मालेगांव धमाके के साजिशकर्ताओं में गिना जाता है। आरोप है कि संदीप कुछ चरमपंथी गतिविधियों में लिप्त हो गया था। दोनों आरोपी 2006 मालेगांव ब्लास्ट के मुख्य संदिग्ध हैं, लेकिन आज तक उनका कोई पता नहीं चल सका।

19 साल, सैकड़ों छापे, लाखों का इनाम…फिर भी ‘मोस्ट वांटेड’ क्यों?
एनआईए की कई टीमें पिछले वर्षों में इंदौर पहुंचीं, डांगे के पिता विश्वास डांगे से पूछताछ की गई, मोहल्ले में पड़ताल की गई, लेकिन हर बार एजेंसी खाली हाथ लौटी। संदीप ने पिछले दो दशकों में किसी से कोई संपर्क नहीं किया, यहां तक कि अपने पिता से भी नहीं।
क्या दोनों जिंदा हैं? रिटायर्ड अफसर मेहबूब मुजावर का बड़ा दावा
महाराष्ट्र ATS के पूर्व इंस्पेक्टर मेहबूब मुजावर ने कोर्ट में एक एफिडेविट दाखिल कर चौंकाने वाला दावा किया कि डांगे और कलसांगरा की मौत हो चुकी है, लेकिन उन्हें अभी भी मोस्ट वांटेड लिस्ट में रखा गया है। उन्होंने यह बात खुले मंच पर मीडिया से भी साझा की थी। उनका दावा है कि केस की फाइलों में सच्चाई को दबाया जा रहा है।
2008 का धमाका, जो आज भी गूंजता है
29 सितंबर 2008 को मालेगांव की हमीदिया मस्जिद और मुशवरत चौक पर धमाके हुए। 6 लोग मारे गए, 101 घायल हुए। शुरुआत में जांच महाराष्ट्र ATS ने की, लेकिन बाद में इसे NIA को सौंप दिया गया। इसी केस से जुड़ा है डांगे और कलसांगरा का रहस्य, जो 17 साल बाद भी अनसुलझा है।
