सार
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं और भगवान श्रीकृष्ण के जीवन को अनुकरणीय बताया है। उन्होंने अपने निवास पर गोमाता की सेवा की और जगत कल्याण की प्रार्थना की।
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर प्रदेशवासियों को मंगलकामनाएं दी हैं। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण का जीवन सभी के लिए अनुकरणीय है। यही प्रार्थना है कि मंगल तिथियों पर आधारित जन्माष्टमी का पावन पर्व सभी के जीवन में मंगल ही मंगल करे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने जन्माष्टमी के पावन पर्व पर निवास स्थित गौशाला में गोमाता की सेवा कर जगत कल्याण के लिए प्रार्थना की।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि खगोलीय घटनाओं से मंगल तिथियों की अनुकूलता बनती है, हमारे व्रत, पर्व व त्यौहार मंगल तिथियों के आधार पर ही हैं। इन तिथियों में अद्वितीय घटनाएं घटती है, आज की मंगल तिथि इसकी परिचायक है। लगभग 5100 साल पहले रोहिणी नक्षत्र में भाद्रपद की अष्टमी तिथि में भगवान श्रीकृष्ण का रात 12 बजे प्राकट्य हुआ, जो एक आलौकिक घटना है। उन्होंने कहा कि प्राय: शुभ दिनों पर हमारे मुख से शुभकामनाएं का शब्द निकलता है। शुभकामना सामान्य दिनों के लिए है, जबकि मंगल दिवस पर मंगलकामनाओं का आदान-प्रदान उपयुक्त है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण का सम्पूर्ण जीवन सबके लिए अनुकरणीय है। जीवन में किसी से घबराना नहीं, सदैव धर्म के मार्ग पर चलना, वीरता धारण करना, दयालुता रखना, गोपालन करना और अपने जीवन में जो पाएं, वह बांटने का भाव व सामर्थ्य रखना ऐसी विशेषताएं हैं, जिनका सभी को पालन करना चाहिए।
जन्माष्टमी पर्व पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी का शुभकामना सन्देश
सभी प्रदेशवासियों को श्री श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ। भगवान विष्णु के अवतार श्री श्रीकृष्ण द्वापर युग से आज तक सनातन और हिन्दू धर्म के देवी-देवताओं में विशिष्ट स्थान रखते हैं। भारत का कोई कोना ऐसा नहीं है जहाँ श्री कृष्ण विविध नामों से पूजनीय नहीं हो। जैसे राजस्थान में वे श्री नाथ जी के रूप में, केरल में गुरुवायुर, कर्नाटक में चेन्ना केशव, महाराष्ट्र में विट्ठल, प.बंगाल में मुरलीधर, आंध्र प्रदश में गोविन्द, ओडीशा में जगन्नाथ, असम में माधव, गुजरात में द्वारकाधीश, उत्तरप्रदेश और ब्रज में बाँके बिहारी के रूप में करोड़ों धर्मप्राणों के आराध्य हैं।
भगवान श्री श्रीकृष्ण योगेश्वर भी है और लीलाधर भी है, वे अन्याय के विरुद्ध न्याय के संघर्ष में महाभारत में सारथी है तो कूटनीतिज्ञ भी है। श्री श्रीकृष्ण तारणहार है तो रास रसैय्या भी। श्री मद भागवत कथा के रूप में कर्म की प्रधानता के उपदेशक है तो द्वारकाधीश के रूप में प्रजावत्सल राजा। श्री श्रीकृष्ण का व्यक्तित्व जितना बहुवर्णी है उतनी ही उनकी लीलाएँ। वे बाल गोपाल भी है तो सुदर्शन चक्रधारी भी। किसी भी अवतार की तुलना में श्री श्रीकृष्ण अपने कृतित्व से जन-जन से जिस तरह जुड़े हैं वह उन्हें दैवीय शक्तियों में अनूठा बनाता है।
मध्यप्रदेश सौभाग्यशाली है कि भगवान कृष्ण ने उज्जैन में गुरु सांदीपनि से शिक्षा, ग्रहण की थी। मध्यप्रदेश के जानापाव में ही उन्हें भगवान परशुराम से सुदर्शन चक्र प्राप्त हुआ था। ग्राम नारायणा श्री श्रीकृष्ण एवं सुदामा का मैत्री स्थल हैं। धार जिले का अमझेरा श्री श्रीकृष्ण-रुक्मिणी प्रसंग के लिए प्रसिद्ध हैं, इन सभी स्थलों को तीर्थ के रूप में विकसित करने की सरकार की योजना हैं। मैं ऐसा मानता हूँ कि मध्यप्रदेश आने से पहले वे भगवान कृष्ण थे, वे श्री कृष्ण, यहाँ शिक्षा प्राप्त करने के बाद ही हुए।
मुझे यह बताते हुए खुशी है कि मध्यप्रदेश सरकार ने इस वर्ष से भगवान श्री श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव जन्माष्टमी पर्व को शासकीय तौर पर सार्वजनिक अवकाश घोषित करते हुए श्री श्रीकृष्ण पर्व के रूप में बड़े पैमाने पर मनाया जा रहा है। प्रदेश के प्रमुख मठ मंदिरों की पहचान कर उनमें जन्माष्टमी पर्व का आयोजन किया जा रहा हैं। इन आयोजनों को सरकार और भव्य रूप देगी। श्री कृष्ण जी के आर्थिक विकास एवं सामाजिक समरस्ता की नीति से जोड़ते वृन्दावन ग्राम एवं गीता भवन जैसी विकास की योजनाओं पर कार्य किया जायेगा।
पुन: एक बार आप सभी को जन्माष्टमी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ और बधाई। यह पर्व प्रदेशवासियों के जीवन में सुख, समृद्धि और खुशहाली लाए, यही कामना हैं।
श्री कृष्णमय हुआ मध्यप्रदेश
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव 26 अगस्त को प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर आयोजित श्री कृष्ण पर्व में शामिल हुए। सभी कार्यक्रमों का सजीव प्रसारण सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म पर किया गया।
भोपाल जेल में जन्माष्टमी के अवसर पर आयोजित श्रीकृष्ण पर्व कार्यक्रम
मुख्यमंत्री निवास, भोपाल में आयोजित श्रीकृष्ण उत्सव कार्यक्रम