सार

मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क (KNP) में एक महीने से भी कम समय में दूसरे चीते की मौत नेशनल मीडिया की खबर बन गया है। फरवरी में दक्षिण अफ्रीका से लाए गए उदय नाम के मेल चीते की 23 अप्रैल को हुई मौत पर सस्पेंस बना हुआ है। 

 

भोपाल/श्योपुर. मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) में एक महीने से भी कम समय में दूसरे चीते की मौत नेशनल मीडिया की खबर बन गया है। फरवरी में दक्षिण अफ्रीका से लाए गए उदय नाम के मेल चीते की 23 अप्रैल को हुई मौत पर सस्पेंस बना हुआ है। शुरुआती पड़ताल में आशंका है कि जहरीले कीड़े के काटने से मौत हो सकती है। (File Photo)

Kuno National Park में चीते की मौत और कहानी

जिस वयस्क नर चीते उदय की मौत करीब 4 से 5 साल थी।18 फरवरी को दक्षिण अफ्रीका से 12 चीते लाए गए थे। इन्हें PM मोदी ने छोड़ा था। उदय को 18 अप्रैल को बड़े बाड़े के एनक्लोजर नंबर 2 में छोड़ा गया था। इससे पहले 27 मार्च को नामीबियाई मादा चीता साशा की किडनी फेल होने से मौत हुई थी। भोपाल वनविहार के विशेषज्ञ डॉक्टरों की मौजूदगी में पोस्टमार्टम के बाद पता चलेगा कि उदय की मौत कैसे हुई? दो चीतों की मौत के बाद कूनो में 9 नर और 9 मादा चीता हैं। चार शावक भी हैं।

कूनो के नर चीते उदय की मौत और घटनाक्रम

इस घटना को महत्वाकांक्षी 'प्रोजेक्ट चीता' के लिए एक बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है, जिसके तहत सितंबर 2022 और इस साल फरवरी में अलग-अलग बैचों में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से 20 चीतों को श्योपुर जिले के KNP में लाया गया था। कूनो नेशनल पार्क की प्रेस रिलीज के अनुसार, 23 अप्रैल की सुबह 9 बजे चीता उदय को सिर झुकाए अवस्था में बैठा देखा गया था। उसके बाद वो लड़खड़ाकर और गर्दन झुकाए चलता देखा गया। जबकि प्रोटोकाल अनुसार रोज सुबह-शाम की निगरानी के दौरान एक दिन पहले वो पूरी तरह हेल्दी था। सुबह 11 बजे उदय को ट्रैंकुलाइज कर बेहोश किया और आइसोलेशन वार्ड में इलाज शुरू किया गया। शाम 4 बजे इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ जेएस चौहान के अनुसार, मौत का कारण स्पष्ट नहीं है।

भारत में चीतों की प्रजाति

भारत में चीतों के विलुप्त होने के दशकों बाद भारत में चीतों की प्रजातियों को फिर से लाने के लिए 'प्रोजेक्ट चीता' को पिछले सितंबर में लॉन्च किया गया था। देश के आखिरी चीते की मृत्यु वर्तमान छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में 1947 में हुई थी और इस प्रजाति को 1952 में विलुप्त घोषित कर दिया गया था।

प्रोजेक्ट चीता के तहत आठ नामीबिया चीता, जिनमें पांच मादा और तीन नर शामिल हैं, 748 वर्ग किमी के मुख्य क्षेत्र और इसके आसपास के 487 वर्ग किमी बफर जोन के साथ KNP में लाए गए थे। उन्हें पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा 17 सितंबर, 2022 को विशेष बाड़ों में छोड़ा गया था। इस साल 18 फरवरी को दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों को केएनपी लाया गया, जिनमें सात नर और पांच मादा शामिल थे।

सियाया नाम की एक और चीता ने हाल ही में केएनपी में चार शावकों को जन्म दिया है।

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