सार
इस बार गणेश उत्सव 19 सितंबर, 2023 से शुरू होगा। इससे पहले आपको पुणे के ऐतिहासिक 'दगडूशेठ हलवाई मंदिर' के दर्शन कराते हैं। इस मंदिर का नाम इतना विचित्र क्यों है, पढ़िए इसके पीछे की रोचक कहानी
पुणे. गणेश उत्सव(Ganesh Chaturthi) हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है। यह पूरे भारत में मनाया जाता है, लेकिन महाराष्ट्र में इसकी एक अलग ही रंगत होती है, जबर्दस्त उत्साह होता है। इस बार गणेश उत्सव 19 सितंबर, 2023 से शुरू होगा। इससे पहले आपको पुणे के ऐतिहासिक 'दगडूशेठ हलवाई मंदिर' के दर्शन कराते हैं। इस मंदिर का नाम इतना विचित्र क्यों है, पढ़िए इसके पीछे की रोचक कहानी…
Ganeshotsav 2023: पुणे के 'दगडूशेठ हलवाई मंदिर' की दिलचस्प कहानी
यह एक महीने पुरानी बात है, जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 1 अगस्त को महाराष्ट्र के पुणे पहुंचे थे। कई प्रोजेक्ट्स की लॉन्चिंग से पहले PM मोदी 'दगडूशेठ हलवाई मंदिर' में दर्शन और पूजा-अर्चना पहुंचे थे। तब जो लोग नहीं भी जानते थे, वे भी इस मंदिर से वाकिफ हो गए।
दगादुशेठ या दगडूशेठ हलवाई गणपति मंदिर पुणे में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। इस मंदिर की प्रसिद्धि का आकलन आप इसी से कर सकते हैं कि हर साल यहां एक लाख से अधिक तीर्थयात्री आते हैं। गणेश उत्सव पर तो यहां पैर तक रखने की जगह नहीं मिलती। मंदिर में महाराष्ट्र की मशहूर हस्तियां और मुख्यमंत्री तक दर्शन करने आते रहे हैं।
बताया जाता है कि मंदिर में विराजी मुख्य गणेश मूर्ति का ₹10 मिलियन (US$130,000) का बीमा कराया गया था। 2022 में गणपति के 130 वर्ष पूरे होने पर यहां भव्य आयोजन हुआ था।
आखिर ये कौन थे पुणे के दगडुशेठ हलवाई?
श्रीमंत दगडुशेठ हलवाई और उनकी पत्नी लक्ष्मीबाई पुणे के एक जाने-माने व्यापारी और हलवाई थे। उनकी मूल हलवाई की दुकान आज भी पुणे में दत्त मंदिर के पास 'दगडूशेठ हलवाई स्वीट्स' के नाम से मौजूद है। जहां लोग खाने के साथ मंदिर के किस्से सुनने आते हैं
कहा जाता है कि 1800 के दशक के आखिर में महाराष्ट्र में प्लेग महामारी ने हाहाकार मचा दिया था। दगडुशेठ हलवाई को अपने इकलौते बेटे को भी खोना पड़ गया। किस्से हैं कि तब एक ऋषि ने उन्हें पुणे में एक गणेश मंदिर बनाने की सलाह दी थी। दगडूशेठ ने अपने भतीजे गोविंदशेठ को गोद लिया था, जो उनकी मृत्यु के समय 9 वर्ष का था।
'दगडूशेठ हलवाई मंदिर' और गोविंदशेठ हलवाई की कहानी
दगडूशेठ के भतीजे गोविंदशेठ ने मंदिर में स्थापत पहली गणेश मूर्ति के स्थान पर एक नई मूर्ति स्थापित कराई थी। हालांकि पहली मूर्ति अभी भी एकरा मारुति चौक पर मौजूद है। अब लक्ष्मीबाई दगडूशेठ हलवाई संस्थान दत्त मंदिर ट्रस्ट के नाम से जाना जाता है। गोविंदशेठ की 1943 में मृत्यु हो गई।
गोविंदशेठ के बेटे दत्तात्रेय गोविंदशेठ हलवाई ने दूसरी गणेश मूर्ति के स्थान पर तीसरी गणेश मूर्ति की स्थापना की थी। नवसाचा गणपति के नाम से मशहूर यह मूर्ति आज भी दगडूशेठ मंदिर में मौजूद है।
कैसे पहुंचे पुणे के दगडूशेठ मंदिर?
महाराष्ट्र; खासकर पुणे में श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई मंदिर में दर्शन किए बगैर गणेशोत्सव पूरा नहीं माना जाता है। सोने से सजा यह मंदिर 125 साल पुराना है। आप पुणे देश के किसी भी बड़े शहर से सड़क, ट्रेन या हवाई मार्ग के जरिये पहुंच सकते हैं। पुणे रेलवे स्टेशन से इसकी दूरी सिर्फ 5 किमी, जबकि एयरपोर्ट से 12 किमी है। मंदिर का पूरा पता है- गणपति भवन, 250, बुधवार पेठ, शिवाजी रोड, पुणे महाराष्ट्र 411002
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