सार

संजय निरुपम को कांग्रेस ने पार्टी विरोधी काम करने के चलते छह साल के लिए निकाल दिया है। वहीं, निरुपम का कहना है कि उन्होंने पहले ही इस्तीफा दे दिया था।

 

मुंबई। महाराष्ट्र कांग्रेस के बड़े नेता रहे संजय निरुपम अब कांग्रेस में नहीं हैं। उन्होंने पहले इस्तीफा दिया या कांग्रेस ने निकाल बाहर किया, इसको लेकर विवाद है। संजय ने कहा कि उन्होंने कांग्रेस द्वारा निकाले जाने से पहले ही इस्तीफा दे दिया था। संजय ने कहा कि मैंने पहले ही कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को इस्तीफा भेज दिया था।

संजय ने कहा कि मेरे इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस ने मुझे छह साल के लिए पार्टी से निकालने का आदेश जारी किया। कांग्रेस ने पार्टी विरोधी काम करने के लिए संजय को छह साल के लिए बाहर निकाला है। दरअसल, संजय निरुपम ने महाराष्ट्र में विपक्षी दलों के गठबंधन के बीच सीट-शेयरिंग को लेकर हुए समझौते को लेकर बयान दिए थे। उन्होंने सीट-शेयरिंग में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना द्वारा कांग्रेस को दबाए जाने के खिलाफ बात की थी।

सीट-शेयरिंग को लेकर पार्टी नेतृत्व पर साधा था निशाना

संजय निरुपम लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदन के सांसद रहे हैं। उन्होंने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए सीट-शेयरिंग को लेकर शिवसेना (यूबीटी) द्वारा कांग्रेस पर डाले जा रहे दबाव पर गुस्सा जताया था। उन्होंने अपनी पार्टी के नेतृत्व पर भी निशाना साधा था। इसके कुछ दिनों बाद कांग्रेस से उन्हें निष्कासित कर दिया।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को भेजे गए अपने इस्तीफे के मेल का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए निरुपम ने एक्स पर पोस्ट किया, "ऐसा लगता है कि पार्टी ने कल रात मेरा इस्तीफा पत्र मिलने के तुरंत बाद निष्कासन करने का फैसला किया। इतनी तत्परता देखकर अच्छा लगा। बस यह जानकारी शेयर कर रहा हूं।"

 

 

निरुपम ने महाराष्ट्र कांग्रेस नेतृत्व पर बोला था हमला

निरुपम मुंबई उत्तर सीट से पूर्व सांसद हैं। इस बार चुनाव लड़ने के लिए उनकी नजर मुंबई उत्तर पश्चिम सीट पर थी। सीट शेयरिंग पर समझौता होने से पहले ही उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने एकतरफा फैसला करते हुए मुंबई के छह में से चार लोकसभा सीट के लिए प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया था। इसके बाद निरुपम ने महाराष्ट्र कांग्रेस नेतृत्व पर हमला बोला था।

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उन्होंने कहा था कि कांग्रेस नेतृत्व को खुद को शिवसेना (यूबीटी) द्वारा अपमानित होने की अनुमति नहीं देनी चाहिए। उन्होंने कहा था, “मुंबई में एकतरफा उम्मीदवार उतारने के शिवसेना (यूबीटी) के फैसले को स्वीकार करना कांग्रेस के विनाश को अनुमति देने जैसा है।”

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