सार

सीएम एकनाथ शिंदे की विधानसभा में प्याज किसानों के लिए 300 रुपये प्रति क्विंटल अुनग्रह राशि देने की घोषणा को नाकाफी बताते हुए विपक्ष वाकआउट कर गया। उनकी किसानों को ₹500-700 रुपये सब्सिडी देने की मांग थी। 

मुम्बई। सीएम एकनाथ शिंदे की विधानसभा में प्याज किसानों के लिए 300 रुपये प्रति क्विंटल अुनग्रह राशि देने की घोषणा को नाकाफी बताते हुए विपक्ष वाकआउट कर गया। उनकी किसानों को ₹500-700 रुपये सब्सिडी देने की मांग थी। उधर प्याज उत्पादक संघ भी सरकार के इस फैसले से नाराज है। संगठन संबंधित मिनिस्ट्री के प्रति​निधियों से मिलकर अपना पक्ष रखेगा। उनका कहना है कि सरकार की तरफ से जो सहायता राशि या बोनस प्याज उत्पादक किसानों को देने की घोषणा की गई है। यह धनराशि उतनी नहीं है कि जिससे प्याज के उत्पादन की लागत निकल पाए।

दूसरे राज्यों में प्याज का उत्पादन बढ़ा

पूर्व मंत्री छगन भुजबल ने कहा कि किसानों को दी जाने वाली वित्तीय सहायता कम से कम एक हजार रुपये प्रति क्विंटल होना चाहिए। सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा कि देश में प्याज उत्पादन में 43 फीसदी हिस्सेदारी हमारी है। दूसरे राज्यों में प्याज का उत्पादन बढ़ा है, उससे समस्या पैदा हो गई है। देश में आपूर्ति की तुलना में मांग कम होने से प्याज की कीमत गिर गई है। 

समिति की ₹200 और ₹300 प्रति क्विंटल की सिफारिश

किसानों को राहत के लिए सरकार की तरफ से एक समिति बनाई गई थी। समिति की तरफ से प्याज किसानों के लिए ₹200 और ₹300 प्रति क्विंटल की सिफारिश की गई थी। उन्हें राहत देने के लिए ₹300 रुपये प्रति क्विंटल सब्सिडी का फैसला किया गया।

सरकार का ऐलान टेम्परेरी राहत

महाराष्ट्र राज्य प्याज उत्पादक संघ के अध्यक्ष भरत दिघोले ने एशियानेट न्यूज से बातचीत में कहा कि सरकार का यह ऐलान प्याज किसानों के लिए टेम्परेरी राहत या बोनस है। इसे सहायता राशि भी बोल सकते हैं। किसान गुस्से में इसलिए है कि हमारे संगठन की मांग है कि पहले प्याज के उत्पादन का खर्च निकाला जाए। 

15 रुपये प्रति किलो सब्सिडी की मांग

एपीएमसी (कृषि उत्पाद बाजार समिति) मंडियों में प्याज के दाम 2 से 4 रुपये तक लुढक गए थे। यदि किसान को बाजार में प्रति किलो प्याज के चार रुपये मिल रहे हैं और सरकार तीन रुपये दे रही है तो ये मिलाकर प्रति किलो सात रुपये हो जाएंगे। सरकार को कम से कम 15 रुपये प्रति किलो की सब्सिडी देनी चाहिए।

…सरकार से सब्सिडी की भी जरुरत नहीं 

दिघोले ने आगे कहा कि हमें सरकार से सब्सिडी की भी जरुरत नहीं होती। पर जब प्याज के दाम बढते हैं, तब तुरंत प्याज का एक्सपोर्ट बैन कर दिया जाता है। बाहर के देशों से प्याज मंगाई जाती है। प्याज के रेट गिराने का काम सरकार करती है, तो आप रेट भी मत गिराओ, एक्सपोर्ट भी बैन न करो। 

365 दिन किसानों को हो फ्रीडम

किसानों को अपने बलबूते पर छोड़ दो, वह अपने प्याज का सब देख लेंगे। पूरे 365 दिन किसानों को प्याज के बारे मे फ्रीडम होना चाहिए, जो कि देश और महाराष्ट्र में नहीं है।