सार

नागपुर के एक मनोवैज्ञानिक पर कई लड़कियों के यौन शोषण का आरोप लगा है। वह 'एक्यूप्रेशर' के बहाने लड़कियों को छूता और फिर ब्लैकमेल करता था। पुलिस ने उसके खिलाफ तीन केस दर्ज किए हैं।

नागपुर। जेल में बंद नागपुर के मनोवैज्ञानिक और परामर्शदाता के बारे में खौफनाक कहानियां सामने आ रहीं हैं। उसने करीब 10 साल में बहुत सी लड़कियों को अपने जाल में फंसाया और उनका यौन उत्पीड़न किया। धीरे-धीरे पीड़िताएं सामने आ रहीं हैं और अपने साथ हुई घटनाएं बता रहीं हैं।

मनोवैज्ञानिक देर रात लड़कियों को अपने चैंबर में ले जाता था। वह आधी रात के बाद भी थेरेपी करता था। दो महीने पहले एक मुखबिर ने उसके घिनौने खेल का पर्दाफाश कर दिया। उसके खिलाफ हुडकेश्वर थाने में तीन केस दर्ज किए गए हैं। उसकी पत्नी और एक अन्य साथी को भी आरोपी बनाया गया है।

TOI की रिपोर्ट के अनुसार मनोवैज्ञानिक के मोबाइल फोन से कम से कम 18 लड़कियों की अश्लील तस्वीरें और वीडियो मिले हैं। उसने इन लड़कियों का यौन शोषण किया था। अधिकतर नाबालिग थीं। मनोवैज्ञानिक सलाह देने के लिए मोटी रकम वसूलता था। यह अक्सर सालाना 9 लाख रुपए तक होती थी।

एक्यूप्रेशर के बहाने लड़कियों को छूता, फिर ऐसे फंसाता अपने जाल में

मनोवैज्ञानिक लड़कियों को अपने चैंबर में ले जाता था और 'एक्यूप्रेशर' के बहाने उन्हें गलत तरीके से छूता था। कहता था कि इससे उनका तनाव और अन्य शारीरिक और मानसिक समस्याएं दूर होंगी। वह पहले लड़कियों की पारिवारिक पृष्ठभूमि और व्यक्तिगत जीवन के बारे में जानकारी जुटा लेता था। उनका विश्वास जीत लेता था। इसके बाद लड़कियों को छूता, शराब देता और यौन शोषण करने लगता। कहता था कि इससे तनाव दूर होगा और वे पढ़ाई पर ध्यान लगा पाएंगी। लड़कियों को समझाता था कि शारीरिक संबंध बनाना जरूरी है। वह लड़कियों के गंदे फोटो लेता और वीडियो रिकॉर्ड कर लेता था। इसके बाद उन्हें ब्लैकमेल करने लगता।

लोक-लाज के डर से शिकायत दर्ज नहीं कराती थीं पीड़िता

मनोवैज्ञानिक लंबे समय तक लड़कियों का यौन शोषण करता रहा, लेकिन उनका भेद नहीं खुला। कई पीड़िता विवाहित हैं। लड़कियां लोक-लाज के डर से शिकायत नहीं करतीं थीं। वह हमेशा लड़कियों को एक रंगहीन तरल पदार्थ देता था। कहता था कि इलाज के लिए यह अनिवार्य है। उनकी नजर अमीर घर की लड़कियों पर रहती थी। वह अपने यहां इलाज कराने वाली लड़कियों के माता पिता से कहता था कि उनसे बात नहीं करें। इससे उनका ध्यान भटक जाएगा और इलाज का असर कम हो जाएगा। वह ऐसा इसलिए कहता था ताकि परिवार के लोगों को पता नहीं चले कि उनकी बच्चियों के साथ क्या हो रहा है।

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