सार
कई केसों को देखकर ऐसा लगता है कि पुलिस जांच को ठंडे बस्ते में डाल चुकी है। लेकिन कई मामलों में कछुआ गति से ही सही, पुलिस जांच करती रहती है। ऐसा ही यह मामला है, जिसमें पुलिस ने 16 साल पुराने मर्डर केस में दो आरोपियों को आखिरकार दबोच ही लिया।
मुंबई. कई केसों को देखकर ऐसा लगता है कि पुलिस जांच को ठंडे बस्ते में डाल चुकी है। फिर उठते हैं पुलिस की कार्यशैली पर सवाल कि पुलिस ने जानबूझकर जांच ठीक से नहीं की या लापरवाही बरती। लेकिन कई मामलों में कछुआ गति से ही सही, पुलिस जांच करती रहती है। ऐसा ही यह मामला है, जिसमें पुलिस ने 16 साल पुराने मर्डर केस में दो आरोपियों को आखिरकार दबोच ही लिया।
अपराधियों ने भी सोच लिया था कि पुलिस अब उन्हें नहीं पकड़ पाएगी, पढ़िए 12 बड़ी बातें
1. एक गारमेंट कंपनी के प्रोडक्शन मैनेजर संजय विनोद झा(तब 32 साल) मर्डर मिस्ट्री को सुलझाने में मुंबई क्राइम ब्रांच को 16 साल लग गए।
2. पुलिस ने इस मामले में दो लोगों को अरेस्ट किया है। दोनों आरोपियों की पहचान पूरनसिंह प्रतापसिंह उन्योनी उर्फ पूरनसिंह कपूरसिंह परिहार (41) और मोहनसिंह प्रतापसिंह उन्योनी उर्फ मोहनसिंह कपूरसिंह परिहार (38) के रूप में हुई है। ये उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के मूल निवासी हैं।
3. मुंबई क्राइम ब्रांच यूनिट-3 के इनचार्ज इंस्पेक्टर प्रमोद बदाख ने बताया-"हमने इन आरोपियों को एक गारमेंट कंपनी के 32 वर्षीय प्रोडक्शन मैनेजर संजय विनोद झा की हत्या के मामले में गिरफ्तार किया है. मानिकपुर थाने में 13 दिसंबर 2007 को हत्या का मामला दर्ज किया गया था।"
4.प्रमोद बदाख ने कहा-“विनोद झा की हत्या करने के बाद हत्यारे एक अज्ञात स्थान पर भाग गए थे और वे जैसे लुप्त से हो गए थे। हाल ही में हमें पता चला था कि हत्यारे अक्सर उत्तराखंड जिले में अपने गांव जाते हैं। इनपुट्स के आधार पर हमारी टीम ने स्थानीय पुलिस अधिकारियों की मदद से उन्हें गिरफ्तार किया है। इस मामले में दो और आरोपी वांटेड हैं।"
5. पुलिस ने कहा कि इन चार लोगों ने विनोद झा की हत्या कर दी थी, क्योंकि मृतक ने उन्हें कर्ज दिलाने में मदद करने का वादा किया था। कर्ज न मिलने पर हत्यारों ने 2007 में योजना बनाई, 12 दिसंबर की शाम को झा को बुलाया और साथ में शराब पी।
6.ड्रिंक पार्टी के दौरान उनके बीच तीखी बहस हुई और उन्होंने कथित तौर पर झा का गला घोंट दिया और एक पत्थर से उनके चेहरे को कुचल दिया। फिर शव को मुंबई-अहमदाबाद हाईवे के पास फेंक दिया।
7.मिड-डे की एक रिपोर्ट के अनुसार, मृतक के छोटे भाई अजय झा ने बताया-“मेरा भाई अक्सर भायंदर में हमारे घर के पास नाश्ता करने बैठता था। उसने हमें 12 दिसंबर की शाम को बताया था कि वह अगले 15 मिनट में घर पहुंच रहा है। हम पूरी रात उसका इंतजार करते रहे, लेकिन वह नहीं आया। उनका सेलफोन भी बंद था।”
8. अजय झा ने आगे कहा-“हम गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराने के लिए कनकिया पुलिस के पास पहुंचे थे और बाद में हमें पता चला कि वसई में मानिकपुर पुलिस ने एक अज्ञात शव बरामद किया है। शव की शिनाख्त के लिए हमें वहां जाने को कहा गया। जब हम मानिकपुर पुलिस स्टेशन पहुंचे, तो हमें केवल उनके कपड़े, जनेऊ (पवित्र धागा) और रुद्राक्ष की माला दिखाई गई और शव को ठाणे के एक अस्पताल के मुर्दाघर में रख दिया गया।”
9. अजय झा ने कहा-"मेरा भाई एक संगीत प्रेमी था और उसका गीत एल्बम बाजार में आने वाला था। हमें किसी पर शक नहीं था, लेकिन बाद में हमें पता चला कि वह अक्सर भायंदर में हमारे घर के पास एक चाइनीज शॉप की दुकान पर बैठता था। मेरे बड़े भाई की रहस्यमय मौत के बाद शॉ के चार कर्मचारी अचानक गायब हो गए थे। ये चार संदिग्ध उत्तराखंड के निवासी थे।"
10.हालांकि पुलिस उत्तराखंड में उनके गांव तक पहुंच गई थी, लेकिन हमेशा खाली हाथ लौटती थी। लिहाजा परिजनों ने सारी उम्मीदें छोड़ दीं और घर चलाने और अपने बड़े भाई के दो छोटे बच्चों का पालन-पोषण करने में खुद को व्यस्त कर लिया।
11. अचानक बुधवार(22मार्च) को अजय झा को क्राइम ब्रांच से फोन आया, तब पता चला कि उन्होंने मर्डर मिस्ट्री सुलझा ली है और इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया है।
12. दरअसल, क्राइम ब्रांच जटिल मामलों की पुरानी फाइलों को खंगाल रही है, जिन्हें कई कारणों से हल नहीं किया जा सका था। डीसीपी (क्राइम) अविनाश अंबुरे और एसीपी अमोल मांडवे की देखरेख में क्राइम ब्रांच यूनिट-3 ने यह मामला सुलझाया।
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