सार
1993 के बम ब्लास्ट के मास्टर माइंड दाऊद इब्राहिम के उस घर, जहां उसका बचपन बीता था, को अजय श्रीवास्तव ने खरीदा था। हालांकि, वह संपत्ति अभी कानूनी पेंच में फंसी हुई है।
Underworld Don Dawood Ibrahim: मुंबई जिसके डर से कभी थर्राती थी, उसी भारत के मोस्ट वांटेड आतंकवादी दाऊद इब्राहिम की चार संपत्तियां शुक्रवार को नीलाम हो गई। करोड़ों की प्रॉपटी की बिडिंग प्राइज महज 19 लाख रुपये लगाई गई है। इन संपत्तियों में दाऊद इब्राहिम की पैतृक संपत्ति भी शामिल है। पैतृक संपत्ति, महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के मुंबाके गांव में है। शिवसेना के पूर्व सदस्य और वकील अजय श्रीवास्तव इन बोलीदाताओं में शामिल हैं जो कि पूर्व में भी ऐसी नीलामी में शामिल रहे हैं।
अजय श्रीवास्तव तीन आतंकवादियों की जमीन पहले भी खरीद चुके
बोलीदाताओं में दाऊद इब्राहिम की संपत्ति के लिए माना जा रहा है कि अधिवक्ता अजय श्रीवास्तव भी शामिल हैं। यह इसलिए क्योंकि अजय श्रीवास्तव पूर्व में भी तीन बार आतंकवादियों की संपत्तियों को खरीद चुके हैं। इन संपत्तियों में मुंबईके गांव में दाऊद का बचपन का घर भी शामिल है, जहां उसका जन्म हुआ था।
1993 के बम ब्लास्ट के मास्टर माइंड दाऊद इब्राहिम के उस घर, जहां उसका बचपन बीता था, को अजय श्रीवास्तव ने खरीदा था। हालांकि, वह संपत्ति अभी कानूनी पेंच में फंसी हुई है। अजय श्रीवास्तव मानते हैं कि जल्द ही वह संपत्ति उनको मिल जाएगी और वह वहां सनातन पाठशाला खोलेंगे। उन्होंने कहा कि मैंने 2020 में बंगले के लिए बोली लगाई थी। एक सनातन धर्म पाठशाला ट्रस्ट की स्थापना की गई है। स्कूल का निर्माण जल्द ही शुरू होगा। मैं शुक्रवार को नीलामी में भाग लूंगा।
पूर्व में जब्त हुई चार संपत्तियों की होगी नीलामी
5 जनवरी को दाऊद इब्राहिम की उन संपत्तियों की नीलामी होगी जो जब्त हुई थी। मुंबई में जमीन के चार पार्सल नीलामी होगी। यह स्मगलर्स एंड फॉरेन एक्सचेंज मैनीपुरेटर्स एक्ट 1976 के तहत जब्त किया गया था। इसके लिए रिजर्व प्राइज 19.22 लाख निर्धारित किया गया है।
पूर्व पत्रकार नाखुश
दाऊद की संपत्तियों की 2015 की नीलामी में बोली लगाने वालों में से एक इस प्रक्रिया से नाखुश हैं। पूर्व पत्रकार एस.बालाकृष्णन ने कहा कि यह हास्यास्पद है। दाऊद के लिए 19 लाख रुपये का कोई मतलब नहीं है। इसलिए ऐसी संपत्तियों की नीलामी के नाम पर वे सरकार का पैसा बर्बाद करते हैं। सरकार को यह सब करने की आवश्यकता क्यों है? उसके पास सारी संपत्ति पर कब्जा करने की शक्ति है।
दरअसल, एस बालाकृष्णन ने 2015 में डॉन के एक रेस्तरां की बोली लगाई थी। करीब 4 करोड़ 28 लाख रुपये की बोली उन्होंने लगाई थी। लेकिन सरकार ने रकम जमा करने की समयसीमा नहीं बढ़ाई और बालाकृष्णन की बोली में जमा रकम भी जब्त हो गई। वह चाहते थे कि रकम को जमा करने के लिए कुछ समयसीमा बढ़ाई जाए लेकिन सरकार ने इजाजत नहीं दी। वह चार करोड़ रुपये निर्धारित समयसीमा में नहीं जमा कर सके। रेस्तरां पाकमोडिया स्ट्रीट में था। यह मुंबई का केंद्र है। पूर्व पत्रकार ने कहा कि उन्होंने दाऊद के आतंक को खत्म करने के लिए रेस्तरां के लिए बोली लगाई थी। अपनी जान को भी जोखिम में डाला था लेकिन सरकार ने पैसा जमा करने की समय-सीमा नहीं बढ़ाई।
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