सार
किसान आंदोलन का सहारा लेते हुए भगवंत मान ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधने का काम किया है। उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि आखिर केंद्र सरकार किसानों से बातचीत करने से क्यों डर रही है?
पंजाब के सीएम भगवंत मान किसानों की तरफ से किए जा रहे आंदोलन को लेकर खुलकर अपनी बात रखते हुए दिखाई दिए हैं। किसान आंदोलन का सहारा लेते हुए भगवंत मान ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधने का काम किया है। उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि आखिर केंद्र सरकार किसानों से बातचीत करने से क्यों डर रही है? किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल की भूख हड़ताल को 38 दिन पूरे हो चुके हैं। इसके बावजूद केंद्र सरकार को इस मामले में किसी की भी परवाह नहीं है। सीएम ने केंद्र सरकार से कहा कि किसानों से बातचीत का कोई रास्ता वो जरूर खोले।
भगवंत मान ने अपनी बात रखते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा,' इससे पहले 3 कृषि कानूनों के समय प्रधानमंत्री खुद टीवी पर आए और कहा कि मुझे किसानों के लिए इन कानूनों को समझने में कमी है, इसलिए मैं कानून वापस ले रहा हूं। लेकिन अब सवाल यह है कि केंद्र सरकार किसानों से बात करने से क्यों डर रही है? उन्होंने कहा कि डल्लेवाल साहब की भूख हड़ताल को 38 दिन हो गए हैं लेकिन केंद्र सरकार को इसकी कोई परवाह नहीं है। हमने कई बार केंद्र सरकार से बात करने की कोशिश की है।'
सभी किसानों की एक जैसी मांग
इसके अलावा भगवंत मान कहा,' सभी किसान संगठनों की मांगें एक जैसी हैं. लेकिन केंद्र सरकार किसी भी संगठन को बातचीत के लिए नहीं बुला रही है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद हमने डल्लेवाल के धरना स्थल से करीब 500 मीटर की दूरी पर 50 डॉक्टरों को दिन-रात तैनात किया है। एक रेस्टोरेंट को अस्पताल की सभी सुविधाएं देकर अस्पताल घोषित कर दिया है। दो दिन पहले मैंने खुद दल्लेवाल साहब से बात की थी और उन्हें बताया था कि आपका स्वास्थ्य हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
ऐसी राजनीति बिल्कुल भी न करें
वहीं, सीएम भगवंत मान ने कहा, ‘केंद्र सरकार को ऐसी राजनीति नहीं करनी चाहिए कि हम किसानों से भिड़ जाएं। हम किसी तरह का संघर्ष और जान का नुकसान नहीं चाहते हैं। जब भी डल्लेवाल साहब अनुमति देते हैं, हमारी मेडिकल टीमें वहां मौजूद रहती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि हम उन्हें जबरदस्ती कुछ नहीं खिला सकते लेकिन हम मेडिकल सुविधाएं दे सकते हैं। मैं डल्लेवाल साहब से भी कहना चाहूंगा कि आपका स्वास्थ्य हमारे लिए बहुत जरूरी है, अपनी जान जोखिम में न डालें।’