सार
लुधियाना। असम और बंगाल के साइबर ठगों ने उद्योगपति और पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित एस पी ओसवाल से सात करोड़ रुपए ठग लिए। ओसवाल वर्धमान समूह के अध्यक्ष हैं। साइबर अपराधियों ने ओसवाल से कहा था कि वे सीबीआई टीम के सदस्य हैं। पासपोर्ट के लिए उनके आधार कार्ड के दुरुपयोग और पैसे की धोखाधड़ी के मामले की जांच कर रहे हैं।
लुधियाना पुलिस ने यह जानकारी दी। इससे पहले पुलिस ने दो संदिग्धों को गुवाहाटी से गिरफ्तार किया था। उनके पास से 5.2 करोड़ रुपए बरामद हुए हैं। यह देश में साइबर क्राइम के मामले में जब्त की गई सबसे बड़ी राशि है। लुधियाना के पुलिस कमिश्नर कुलदीप सिंह चहल ने बताया कि ओसवाल को जब एहसास हुआ कि वह धोखाधड़ी के शिकार हुए हैं तब वर्धमान ग्रुप ने शिकायत दर्ज कराई।
9 साइबर अपराधियों के गिरोह ने ओसवाल को ठगा
इस अपराध को 9 साइबर अपराधियों के गिरोह ने अंजाम दिया। इनमें से दो अतनु चौधरी और आनंद कुमार चौधरी को गिरफ्तार किया गया है। इन्होंने ओसवाल को झांसा दिया था कि सीबीआई उसके खिलाफ केस दर्ज करने वाली है। CBI को पता चला है कि उनके आधार का इस्तेमाल मलेशिया में एक पार्सल भेजने के लिए किया गया था। इस पार्सल में 58 फर्जी पासपोर्ट और 16 डेबिट कार्ड थे।
धोखाधड़ी का जाल तब शुरू हुआ जब एक व्यक्ति ने मुंबई से CBI अधिकारी होने का दावा करते हुए ओसवाल को फोन किया। इसके बाद जालसाज ने पुलिस की वर्दी पहनकर और सीबीआई के लोगो वाले ऑफिस में बैठकर वीडियो कॉल किया। व्हाट्सएप पर ओसवाल को फर्जी "गिरफ्तारी वारंट" भेजा। दावा किया गया कि वारंट सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया है।
कॉल करने वाले अपराधी ने ओसवाल से कहा कि जमानत चाहिए तो पैसे देने होंगे। उसने दो बैंक खातों में 7 करोड़ रुपए ट्रांसफर करवाए। इसके साथ ही दावा किया कि उन्हें “डिजिटल गिरफ्तारी” के तहत रखा जा रहा है। ओसवाल की टीम ने शिकायत दर्ज कराई तो पुलिस ने तुरंत बैंक खातों को फ्रीज कराया।
लुधियाना साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन के एसएचओ इंस्पेक्टर जतिंदर सिंह ने बताया कि गिरोह के सदस्य ने ओसवाल से एक खाते में 4 करोड़ रुपए ट्रांसफर करने और दूसरे बैंक खाते में तीन ट्रांजेक्शन में 3 करोड़ रुपए जमा करने को कहा था। जब तक खाते फ्रीज हुए संदिग्धों ने 1.7 करोड़ रुपए निकाल लिए थे। 5.2 करोड़ रुपए ओसवाल को लौटा दिए गए हैं।