Ludhiana Nurse Rekha Murder Case: लुधियाना नर्स रेखा की हत्या के पीछे क्या सच है? मोबाइल ने खोले डरावने राज़-बॉयफ्रेंड की धमकी, पुलिस की लापरवाही और सोशल मीडिया ब्लैकमेल की चौंकाने वाली कहानी!
Ludhiana Nurse Murder: लुधियाना की नर्स रेखा की हत्या ने पूरे पंजाब को हिला कर रख दिया। अब उसके पुराने मोबाइल ने इस मामले के कई राज़ उजागर किए हैं। मोबाइल में मिली दस्तावेज़ और शिकायतों के मुताबिक, रेखा के बॉयफ्रेंड अमित निषाद ने उसके घर में ही उसके साथ जबरन रेप किया और धमकी दी कि अगर किसी को बताया तो उसे और उसके बच्चों को जान से मार देगा।
नर्स रेखा के मोबाइल में क्या-क्या मिला?
मोबाइल में न सिर्फ पुलिस कमिश्नर और साइबर सेल को लिखी गई शिकायतें मिलीं, बल्कि वीडियो और दस्तावेज़ भी थे। इन दस्तावेज़ों में रेखा ने अपनी और बच्चों की सुरक्षा की मांग की थी। हालांकि मोबाइल में एक राजीनामा भी था, जिसमें लिखा था कि दोनों पक्षों में आपसी सहमति हुई और अमित निषाद के खिलाफ दी गई शिकायत पर कार्रवाई नहीं करनी चाहिए। लेकिन इस राजीनामे पर न रेखा के, न अमित के और न किसी पुलिस अधिकारी के हस्ताक्षर थे।
मोबाइल ने क्यों खोला मामला?
मोबाइल में मिले दस्तावेज़ बताते हैं कि रेखा ने 30 अक्टूबर 2024 को परिवार और अमित निषाद के साथ वैष्णो देवी यात्रा की थी। दो नवंबर को लौटने के बाद अमित ने उसके बच्चों से मोबाइल ले लिया और सारे डेटा, फोटो और वीडियो अपने मोबाइल में ट्रांसफर कर दिए। लुधियाना पहुंचने पर अमित ने उसके साथ बार-बार जबरन रेप किया और धमकी दी।
क्या पुलिस ने समय पर कार्रवाई की?
मोबाइल में मिले वीडियो और शिकायतों से पता चलता है कि रेखा ने अगले दिन मेडिकल करवाया और पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। उसने पुलिस कमिश्नर से अपील की कि अमित निषाद के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जाए। परिवार का कहना है कि अगर पुलिस ने समय पर कदम उठाया होता तो उसकी हत्या नहीं होती।
सोशल मीडिया और साइबर सेल के सबूत
मोबाइल में रेखा की सोशल मीडिया रील्स और साइबर सेल को दी शिकायतें भी मिलीं। इसमें आरोप था कि अमित ने उसके सोशल मीडिया और ऐप पासवर्ड हैक कर लिए और उसे ब्लैकमेल करने की कोशिश की। रेखा ने मोबाइल में स्पष्ट किया कि अमित उसके अकाउंट से फोटो और वीडियो लेकर डराने की कोशिश कर रहा था।
क्या अब जांच सीबीआई करेगी?
राखा के भाई सरवन का कहना है कि इस मामले की जांच पुलिस नहीं बल्कि सीबीआई से होनी चाहिए। मोबाइल के वीडियो और दस्तावेज़ यह स्पष्ट करते हैं कि प्रशासन ने कई महीनों तक लापरवाही बरती। इस हत्याकांड में मोबाइल ही सबसे अहम सबूत बन गया है। इसने हत्या की साजिश, धमकियों और पुलिस की लापरवाही को उजागर किया है। अब परिवार और कानून सबूतों के आधार पर न्याय की उम्मीद कर रहे हैं।


