पंजाब में इस बार बरसात आफत बन गई है। सभी 23 जिले बाढ़ की चपेट में, 1400 गांव जलमग्न और साढ़े तीन लाख से अधिक लोग प्रभावित। गुरदासपुर और अमृतसर सबसे ज्यादा तबाह, अब तक 30 मौतें, फसलें बर्बाद। राहत और बचाव कार्य तेज।
Punjab Floods 2025: पंजाब की धरती इस बार बरसात से हरी नहीं हुई, बल्कि पानी की बूंदों ने इसे आफत बना दिया। पहाड़ों से उतरता पानी और लगातार बारिश अब तबाही का रूप ले चुका है। खेत, घर, सड़कें-सब जलमग्न हैं। हवा में घुली नमी के साथ घना डर भी है। राज्य सरकार ने मजबूरन पूरे पंजाब को आपदा प्रभावित क्षेत्र घोषित किया।
"हमने 40 साल में ऐसी बाढ़ नहीं देखी," मुख्य सचिव केएपी सिन्हा ने कहा। यह बाढ़ 1988 की भीषण बाढ़ से ज्यादा खतरनाक है।
डूबते गांव और संघर्ष करती जनता
पंजाब के 23 जिले बाढ़ की चपेट में हैं। करीब 1400 गांव पानी में डूब चुके हैं। गुरदासपुर में 324 और अमृतसर में 135 गांव पूरी तरह प्रभावित हैं।
- गुरदासपुर: 1.45 लाख लोग संकट में, घरों में पानी कमर तक
- अमृतसर: 1.17 लाख लोग सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने की कोशिश में
सड़कें टूटी हैं, नावें अब जीवनरक्षक बन गई हैं। बच्चे, बुजुर्ग और किसान-सब इस आफत के बीच संघर्ष कर रहे हैं।
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मौत, लापता लोग और खौफनाक आंकड़े
सरकारी आंकड़े बताते हैं कि अब तक 30 लोगों की जान गई, 3 अभी भी लापता हैं। पठानकोट, लुधियाना, अमृतसर, बरनाला और होशियारपुर में मौतों का सिलसिला जारी है। हर संख्या के पीछे एक परिवार का टूटता सपना है।
उफान पर नदियां और बढ़ता खतरा
घग्गर नदी का जलस्तर 7 फीट तक पहुंच चुका है। खतरे का निशान 8 फीट है। मोहाली, नंगल और चमकौर साहिब में प्रशासन अलर्ट मोड पर है। सतलुज और ब्यास के किनारे बसे गांव भी पानी के खतरे में हैं।
ढहते मकान, बर्बाद फसलें और किसानों की दुर्दशा
जालंधर के बस्ती शेख में एक घर ढह गया। सौभाग्य से कोई जानी नुकसान नहीं हुआ, लेकिन धान और मक्का की हजारों एकड़ फसल पानी में समा गई। किसान अब दोहरी मार झेल रहे हैं-घर उजड़ा और फसल बर्बाद।
प्रशासन की चुनौती: बचाव और पुनर्वास
मुख्य सचिव ने सख्त कदम उठाए-छुट्टियां रद्द, जिला मजिस्ट्रेटों को आपात आदेश देने का अधिकार, बिजली-पानी-सड़क सेवाओं की बहाली।
राहत और बचाव:
- NDRF और SDRF लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन में
- सेना मोर्चा संभाल रही है
- राहत शिविरों में मेडिकल टीमें तैनात
गुरदासपुर का मंड एरिया: जलमग्न और संघर्षरत
गुरदासपुर के मंड क्षेत्र में 32 किलोमीटर का इलाका पूरी तरह पानी में डूब चुका है। नावों के सहारे लोग घरों से जरूरी सामान निकाल रहे हैं। बचाव दल और स्थानीय लोग मिलकर राहत पहुंचा रहे हैं।
पूरा राज्य आपदा प्रभावित घोषित होने के बाद सबसे बड़ी चुनौती पुनर्वास की है। लाखों लोगों को सुरक्षित ठिकानों तक पहुंचाना, भोजन और स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना आसान नहीं। विशेषज्ञ कहते हैं कि पंजाब को दीर्घकालिक बाढ़ प्रबंधन योजना की सख्त जरूरत है।
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