सार

Rajasthan government scheme : राजस्थान में भाजपा सरकार ने 33 पुरानी योजनाओं को बंद कर दिया है। अब देखना होगा कि इस बदलाव का आम जनता पर क्या असर होगा।

जयपुर, (16 अप्रैल 2025), Rajasthan government scheme : राजस्थान में सत्ता परिवर्तन के साथ योजनाओं की प्राथमिकता भी पूरी तरह बदल गई है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में बनी भाजपा सरकार ने पूर्ववर्ती कांग्रेस शासनकाल की 33 फ्लैगशिप योजनाओं को सूची से बाहर कर दिया है और अपनी 26 नई योजनाओं को प्रमुखता दी है। इस निर्णय को न केवल प्रशासनिक बदलाव के रूप में देखा जा रहा है, बल्कि इसके गहरे राजनीतिक संकेत भी निकाले जा रहे हैं।

क्या होती हैं फ्लैगशिप योजनाएं

  • फ्लैगशिप योजनाएं वे होती हैं, जिनकी निगरानी मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) स्तर से होती है। इन योजनाओं की मॉनिटरिंग, रिपोर्टिंग और बजट आवंटन में विशेष प्राथमिकता दी जाती है। अब जो योजनाएं इस श्रेणी से बाहर हुई हैं, उनकी निगरानी पहले जैसी नहीं रहेगी।
  • गहलोत सरकार की जिन योजनाओं को फ्लैगशिप लिस्ट से हटाया गया है, उनमें चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना, मुफ्त दवा और जांच योजना, इंदिरा रसोई, मुख्यमंत्री पेंशन योजनाएं, स्कॉलरशिप और छात्रा स्कूटी योजना जैसी कई जनकल्याणकारी पहलें शामिल हैं। ये योजनाएं खासकर समाज के कमजोर और जरूरतमंद तबकों को ध्यान में रखकर शुरू की गई थीं।

राजस्थान की यह हैं प्रमुख योजनाएं

दूसरी ओर, भाजपा सरकार ने जिन योजनाओं को फ्लैगशिप सूची में शामिल किया है, उनमें प्रधानमंत्री आवास योजना, जल जीवन मिशन, लाडो प्रोत्साहन योजना, अटल ज्ञान केंद्र, मिशन हरियालो राजस्थान, लखपति दीदी, सोलर दीदी और बैंक सखी जैसी योजनाएं प्रमुख हैं। ये अधिकतर केंद्र सरकार के सहयोग से चल रही योजनाएं हैं, जो देश के अन्य भाजपा शासित राज्यों में भी लागू हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों का क्या है मानना?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा सरकार का यह कदम एक साफ संदेश देने की कोशिश है कि वह अपनी प्राथमिकताओं के साथ आगे बढ़ना चाहती है। वहीं कांग्रेस नेताओं ने सरकार पर जनकल्याणकारी योजनाओं को कमजोर करने का आरोप लगाया है। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि यह बदलाव केवल राजनीतिक दुर्भावना का परिणाम है, जिससे आम जनता को नुकसान पहुंचेगा।

राजस्थान सरकार के इस कदम से क्या होगा असर? 

  • सरकारी योजनाओं की यह अदला-बदली न सिर्फ प्रशासनिक दृष्टिकोण से अहम है, बल्कि इसके सामाजिक प्रभाव भी बड़े होंगे। जिन योजनाओं से गरीबों, बुजुर्गों, महिलाओं और छात्रों को सीधा लाभ मिल रहा था, उनके कमजोर पड़ने से जमीन पर असंतोष भी जन्म ले सकता है।
  • राजस्थान की सियासत में यह पहली बार नहीं हो रहा है। हर सरकार अपने एजेंडे के अनुसार योजनाएं चलाती है, लेकिन अब देखना होगा कि भाजपा सरकार की नई योजनाएं जमीनी स्तर पर कितना असर छोड़ती हैं।