सार
Fathers Day 2023: आज पूरी दुनिया पिता को समर्पित फादर्स डे सेलिब्रेट कर रही है। वो पिता जो अपने बच्चों के सपनों को पूरा करने के लिए पूरी जिंदगी दिन रात संघर्ष करता रहता है। राजस्थान में एक पिता ऐसा भी हैं जिसने खेती करके अधिकारी तक बना दिया।
चूरू. हम बात कर रहे हैं राजस्थान के चूरू जिले के लोहिया कस्बा में रहने वाले बुजुर्ग किसान रूपा राम सैनी की। जिन्होंने अपना पूरा जीवन एक छोटे से खेत में खेती करके निकाल दिया। अपने लिए जो कभी नहीं जिए, लेकिन उन्होंने अपने बच्चों को ना सिर्फ पढ़ाया बल्कि उन्हें अधिकारी तक बना दिया। इतना ही नहीं राजस्थान के इस पिता का एक बेटा तो आईएएस भी है।
चूरू के इस पिता का संघर्ष देखकर आंखों में आ जाएंगे आंसू…
राजस्थान के पिता का बेटा श्रवण कुमार सैनी लॉ कॉलेज में प्रिंसिपल है। जिन्होंने बताया कि उनके पिता और माता ने कभी स्कूल का मुंह नहीं देखा लेकिन आज उनकी बदौलत पर केवल वही नहीं बल्कि उनके चारों भाई बड़े बड़े अधिकारी बन चुके हैं। जिनमें एक आईएएस भी है। श्रवण बताते हैं कि उनके पिता और माता दोनों ही खेती का काम करते थे। पिता के 7 बेटे - बेटियां है। पूरा परिवार हमेशा से खेती पर ही निर्भर था। पिता तो खेती में काम करते ही थे बल्कि पिता का हाथ बढ़ाने के लिए चारों बेटे भी गाय और भैंस चराने का काम करते थे और स्कूल भी जाते थे। पिता का ऐसा संघर्ष देखकर चारों बेटों के मन में ललक जगी कि चाहे कुछ भी हो उन्हें अपने परिवार के हालातों को बदलना है फिर क्या था सरकारी स्कूल में पढ़ने के बावजूद भी इन बेटों ने ऐसी सफलता हासिल की है कि आज राजस्थान ही नहीं बल्कि पूरे देश में इनके चर्चे हो रहे हैं।
चारों बेटों ने अपने परिवार की तस्वीर को ही बदल दिया
श्रवण कुमार सैनी बताते हैं कि चारों भाइयों ने प्राथमिक शिक्षा सरकारी स्कूल से प्राप्त की और फिर चूरू में रहकर ही अपनी कॉलेज भी पूरी की। सबसे बड़े भाई नवरंग सैनी वर्तमान में आईएएस अधिकारी है। उनसे छोटे छगन लाल सैनी आरटीडीसी में मैनेजर है। हालांकि एक भाई की मौत हो चुकी है। जिनका नाम गोविंद था वह भी आरटीडीसी में चेयरमैन के पद पर रह चुके हैं और श्रवण खुद वर्तमान में लॉ कॉलेज के प्रिंसिपल हैं। श्रवण बताते हैं कि वर्तमान में खेती करने वाले किसानों के लिए भी सरकार कई सुविधाएं दे रही है जिससे कि उनके परिवारों का उत्थान हो सके लेकिन उस दौरान कई ऐसी विपरीत परिस्थितियां थी जिनमें घर चल पाना भी मुश्किल था इसीलिए उन्होंने सोच लिया था कि अब चाहे कुछ भी हो पिता को जीवन में खुशियां ही देनी है इसीलिए उन्होंने दिन रात एक की और चारों भाइयों ने अपने परिवार की तस्वीर को ही बदल दिया। श्रवण बताते हैं कि आज जब भी वह अपने पिता को देखते हैं तो उनकी आंखों में वह संघर्ष के दिन याद आ जाते हैं।